जयपुर JKK Arts Festival: चार स्तरीय क्यूबिकल से निकला सुरों का काफिला....
देश-दुनिया के मशहूर मांगिणयार कलाकारों की विभिन्न लोक साजों पर आंसदार आवाज की सुरीली परवाज ने बुल्लेरशाह के कलामों से सूफीयत की नई इबारत लिख दी। मौका था जवाहर कला केन्द्र के आठ दिवसीय परफॉर्मिंग आर्ट फेस्टिवल नवरस के रंगारंग आगाज का।
महीनों बाद जगमग जवाहर कला केन्द्र के मुक्ताकाशी मंच पर जब संगीत की स्वर लहरियां गूंजी तो केन्द्र का कोना-कोना झंकृत हो उठा।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने घंटा बजाकर नवरस फेस्टिवल की शुरुआत की। मुख्यमंत्री ने संगीत में गहरी दिलचस्पी दिखाई। साथ ही तालियां बजाकर कलाकारों प्रशंसा भी की। कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने सभी कलाकारों से बात भी की।
उन्होंने कहा कि कलाकारों का यह दल दुनिया में छाप छोड़ेगा। इससे राजस्थान की लोक कलाओं को बढ़ावा मिलेगा। रॉयस्टेन एबेल निर्देशित द मांगणियार सिडक्शन की दिलकश प्रस्तुति ने दर्शकों पर जादुई असर डाला।
शहर में पहली बार हुए इस कार्यक्रम में तकरीबन 80 मिनट तक दर्शक बंधे रहे। रोशनमय लाल रंग के चार स्तरीय क्यूबिकल में बैठकर कलाकारों की प्रस्तुतियां रोचकता से भरपूर रहीं।क्यूबिकल से निकला सुरों का काफिला मौजूद दर्शकों के दिलों को छू गया।
कार्यक्रम में कमाइचा, सारंगी, ढोलक, खड़ताल, बड़े ढोल, अलगौजा, मुरली, मोरचंग और भपंग जैसे लोक साजों की मधुर धुनों ने माहौल में राजस्थानी संस्कृति की अनुपम छटा बिखेर माटी की सोंधी महक घोल दी।
करीब 40 मांगणियार लोक कलाकारों ने आलाप, तानों और सुरीली मुर्कियों से बुल्लेशाह के कलामों से इश्के हकीकी की दिलखुशकुन प्रस्तुति में गायकी का खूबसूरत नजारा पेश किया। वहीं लोक साजों के सवाल-जवाब और जुगलबंदी ने कार्यक्रम में सम्मोहन पैदा कर दिया। तमाम कलाकार पश्चिमी राजस्थान के विभिन्न जिलों के रहने वाले हैं
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