बुधवार, 16 मार्च 2016

पायलट का सरहदी दौरा। कानाफूसी : गहलोत के नाम से छवि सुधारने में लगे पायलेट---



पायलट का सरहदी दौरा। कानाफूसी  : गहलोत के नाम से छवि सुधारने में लगे पायलेट---


जब से सचिन पीसीसी के पायलेट बने है तभी से अशोक गहलोत को किनारे करने की नाकाम कोशिश लगातार की जा रही है क्योंकि सचिन अच्छी तरह जानते है की गहलोत की लोकप्रियता के चलते प्रदेश में उनका कद कितना बौना है। इसीलिए कार्यभार ग्रहण वाले दिन ही मंच पर लगे बैनर से गहलोत को पूरी तरह गायब कर पहले ही दिन ये संदेश दे दिया की अब गहलोत युग खत्म। मीडिया ने भी बढ़ चढ़ कर खबरें प्रकाशित की ।सचिन ने पूरे 2 साल मनमानी की अपनी पसंद की टीम बनाई और कांग्रेस को मजबूत करने की जगह खुद को स्थापित करने में जुट गए और इसी रणनीति के पीसीसी में बैठे पदाधिकारियों को इशारा किया की गहलोत को कमजोर करने में लग जाओ और सीएम पद की उम्मीदवारी छेड़ दो.

इशारा मिलते ही उन तमाम आज्ञाकारी पदाधिकारियों ने जिनको गहलोत की बुराई करने के इनाम स्वरुप पद मिला था और साथ ही एक जाती विशेष ने तो सचिन को मुख्यमंत्री बना ही दिया और मंडली में शामिल लोगों की केबिनेट तक बना डाली.

सबकुछ बड़े आराम से चल रहा था, अंदर ही अंदर खेमेबाजी तैयार की जा रही थी औ खुद के लिए लड़ने वाले योद्धा नियुक्त किये जा रहे थे लेकिन अचानक एक अतिउत्साही सचिव ने आम जनता के मीडिया 'सोशल मीडिया' पर गहलोत को संन्यास लेकर घर बैठ जाने की सलाह दे डाली, उस दिन तो मानो प्रदेश की कांग्रेस में तूफ़ान सा आ गया. गहलोत समर्थक खुले में आ गए और सचिन पायलट सहित पूरी कांग्रेस को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया और अचानक हुई इस बमबारी से सकते में आए पदाधिकारी ने खेद व्यक्त किया चूंकि गहलोत समर्थक उन्हें पद से बर्खास्त किए जाने की मांग कर रहे थे और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मामला उछल जाने से बात दिल्ली तक जा पहुँची. दिल्ली तो दिल्ली ठहरी! जांच-पड़ताल कर सच्चाई पता लगी तो पायलटको सीधे दिल्ली बुलाकर लताड़ पिलाते हुए इस मुहीम को रोकने के निर्देश दिए गए, उसी दिन से सचिन के तेवर ढीले हुए और मीडिया में बयान देकर मामले को शांत करने का प्रयास किया

सचिन पायलट ये समझ चुके थे कि प्रदेश में अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ उनकी टीम द्वारा अंदर खाने चल रही मुहीम का खुलासा होने से उनकी छवि गहलोत विरोधी के रूप में बन चुकी है जिसका उन्हें बहुत भारी खामियाज़ा उठाना पद सकता है. सचिन ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए एक तीर से दो शिकार करने का प्रयास किया है--------अशोक गहलोत को पितातुल्य बताकर, प्रदेश की जनता की सहानुभूति लेकर अपनी छवि सुधारने के साथ-साथ आलाकमान को भी सन्देश देने का प्रयास किया है कि आपके आदेशों की पालना हो रही है.

चलते-चलते बता दूँ- कि राजनीति में कोई किसी का बाप नहीं होता, लोगों ने अपने बापों के सर कलम कर गद्दी हथिया ली थी.

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