केरल के समान राजस्थान भी प्राप्त कर सकता हैं आदर्श पंचायती राज-गोहिल
जालोर 21 जनवरी - जिला प्रमुख डाॅ. वन्नेसिंह गोहिल ने गुरूवार को पंचायती राज मंत्राी सुरेन्द्र गोयल के नेतृत्व में 9 से 16 जनवरी तक केरल दौरे के अनुभवों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि केरल में पंचायती राज को कुल 16 विभाग दिये गये हैं। इन विभागों से सम्बन्धित सभी कार्यो व वित्तीय व तकनीकी स्वीकृति स्वयं पंचायत द्वारा दी जाती हैं। इन कार्यो में अस्प्ताल बनाना, बडे-बडे पुल बनाना, विद्यालय भवन निर्माण करना जैसे कार्य सम्मिलित होते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कुल वार्षिक बजट का एक चैथाई बजट पंचायतों को दिया जाता हैं जिसको खर्च करने का निर्णय सम्बन्धित ग्राम सभा द्वारा लिया जाता हैं जिसे किसी भी स्तर पर बदला नहीं जा सकता। ग्राम सभा यह निर्णय तीनों स्तर पंचायत से लेकर जिला स्तर पर निर्मित स्थाई समितियों के माध्यम से लेती हैं। ‘‘फ्रन्ट आॅफिस’’ व्यवस्था के तहत किसी भी कार्य के लिए सरपंच या सचिव से मिलने की आवश्यकता नहीं होती। प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक राज्य सेवा का अधिकारी व सहायक अभियन्ता नियुक्त हैं व प्रत्येक ग्राम पंचायत का औसत जनसंख्या लगभग 20 हजार हैं। प्रत्येक कार्य की अधिकारिक रेट लिस्ट व समय सीमा पंचायत सूचना पट्ट पर चस्पा रहती हैं व इसका पालन नहीं करने वालो के विरूद्ध जुर्माना लगाया जाता हैं। पंचायतों के पास अपने निजी आय के लिए पर्याप्त संसाधन रहते हैं वही राज्य सरकार द्वारा अधिकृत बजट को खर्च करने वाली पंचायतों को ‘‘इन्सेन्टिव ’’ के रूप में अगले वर्ष बजट में वृद्धि कर दी जाती हैं। इन्दिरा आवास योजना के समान्तर ही पंचायतों द्वारा स्वयं की योजना चलाई जाती हैं जो गांवों में काफी सफल हैं।
जिला प्रमुख ने केरल में पंचायती राज की सफलता का श्रेय उच्च साक्षरता दर, विस्तृत संसाधन आधार व पंचायतों की स्वायत्ता को देते हुए बताया कि राजस्थान राज्य भी भविष्य में सशक्त पंचायती राज के लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेगा जिसके लिए लोगों को साक्षर करने के साथ-साथ जनजागृति के व्यापक कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता होगी। इस दौरे में पंचायती राज मंत्राी सुरेन्द्र गोयल सहित पंचायती राज से विभिन्न स्तरों पर जुडे 16 लोगों को दल था जिसमें जिले से जिला प्रमुख डाॅ. वन्नेसिंह गोहिल भी शामिल थे।
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