शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

सांसद देवजी पटेल ने लोकसभा में डार्कजोन क्षेत्रों के लिए प्रस्तुत किया विधेयक


सांसद देवजी पटेल ने लोकसभा में डार्कजोन क्षेत्रों के लिए प्रस्तुत किया विधेयक


जालोर.सिरोही सांसद देवजी पटेल ने लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान डार्कजोन क्षेत्रों में पेयजल एवं सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए विशेष पेयजल एवं सिंचाई विकास निधि का गठन करना और उससे संसक्त विषयो का उपबंध करने के लिए विधेयक प्रस्तुत किया।

सांसद पटेल ने विधेयक में बताया कि देश का एक तिहाई से अधिक भाग भू.गर्भ जल संकट की चपेट में हैं। भारत के कुछ हिस्सों विशेषकर उत्तर.पश्चिम भारत में भूजल का स्तर प्रति वर्ष लगभग चार सेंटीमीटर की दर से गिर रहा हैं। इन राज्यों में राजस्थानए दिल्लीए हरियाणा और पंजाब के साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई हिस्से शामिल हैं। देश के कुल 5ए723 ब्लाॅकंे में से 839 अत्यधिक भू.गर्भ जल के दोहन के कारण डार्क जोन में चले गए हैं। 226 की स्थिति क्रिटीकल और 550 सेमी क्रीटिकल में हैं। पंजाबए हरियाणाए राजस्थानए आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु गंभीर रूप से इस संकट का सामना कर रहे हैं। जबकि उत्तर प्रदेशए उत्तराखंडए पश्चिम बंगालए गुजरात और केरल भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं। राज्यवार यदि देखें तो तमिलनाडु के 385 ब्लॉक में से 33 क्रिटीकल और 57 सेमी क्रीटिकल जोन में हैं। आंध्रप्रदेश में 219 ब्लॉक में 77 क्रिटीकल और 175 सेमीक्रिटीकल जोन में हैं। हरियाणा के 113 ब्लॉक में से 11 क्रिटीकल और पांच सेमी क्रिटीकल हैं। सर्वाधिक खराब स्थिति पंजाब की है जहां के 137 ब्लॉक में पांच क्रिटीकल और चार सेमी क्रिटीकल जोन में हैं। राजस्थान में जमीन का पानी दोहन लायक नहीं बचा है। राज्य के 236 ब्लॉकों में से 164 ब्लॉक अत्यधिक दोहन और 34 चिंताजनक श्रेणी में आ चुके हैं। यहां वर्ष 1984 में 203 ब्लॉकों का भूमिगत जल पीने लायक था पर वर्ष 2015 में अप्रत्याशित रूप से सुरक्षित ब्लाकों की संख्या मात्र 30 रह गई है। भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण ही देशभर में डार्क जोेन का क्षेत्र बढता जा रहा है। इस भयावह परिस्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि वर्षाजल को अधिकारिक मात्रा में धरती में उतारा जाए। डार्कजोन एरिया में पेयजल और सिंचाई एक बहुत बडा संकट का रूप ले रही है। इस क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई के लिए राज्य सरकार के पास पर्याप्त निधियां नहीं है। अतः डार्कजोन एरिया में बेहतर सिंचाई पेयजल वर्षा का जलसंचय वृक्षा रोपन रेतिली भूमि पर वन का विकास हेतु केन्द्रीय सरकार द्वारा एक निधि की स्थापना किए जाने की आवश्यकता हैं।



सांसद पटेल ने बताया कि इस विधेयक निधि का उपयोग कई प्रयोजनों के लिए किया जाएगा। जैसे. डार्कजोन क्षेत्रो मे चल रहे पेयजल एवं सिचाई परियोजनाओ को शीघ्र पूरा करनेए किसानों के उपयोग के लिए छोटे तालाबों का निर्माण करनेए कुओं व नलकूपों की खुदाई करनेए सिंचाई एवं पेयजल हेतु विद्युत पंप लगानेए पुराने तलाब व बावडियों आदि जलाशयों का जीर्णोद्वार करनेए तालाब व नहर आदि जलाशयों के किनारे पर वृक्ष लगाना एवं शहरांे मंे उद्यान का विकास करनाए स्कूलों सरकारी व निजी भवनों पर वर्षा जल को संरक्षण करनाए प्राकृतिक नालों का संरक्षण करनाए पंचायत एवं ग्राम स्तर पर चारागाह का विकास करनाए नहरांे एवं चेक डेम का निर्माण करनाए बंजर एवं रेगिस्तानी भूमि का विकास करना आदि।

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