बुधवार, 16 दिसंबर 2015

प्रिंट रेट से ज्यादा में बिकती सरकारी शराब ,आखिर किसकी जेब में जाता हे

प्रिंट रेट से ज्यादा में बिकती सरकारी शराब ,आखिर किसकी जेब में जाता हे
बाड़मेर। जिले भर में शराब की दुकानों पर अंकित मूल्य से अधिक मूल्य लेकर शराब की बिक्री की जा रही हैं जिससे आम आदमी की जेब को खाली किया जा रहा हैं। अंकित दर से 10 से 15% अधिक रूपये वसूले जा रहे हैं जिससे लाखो रूपये आम आदमी की जेब से जाते हैं। मगर सवाल यह हैं की यह रुपया जाता किसकी जेब में हैं आबकारी विभाग के अधिकारियो की जेब में या फिर सरकार के पास जमा होता हैं? बाड़मेर के गोदाम से प्रतिदिन 1 करोड़ से अधिक की शराब उठती है। आबकारी विभाग को भी इस बारे में सब जानकारी हैं की शराब की दुकान वाले 10 से 15% अधिक रूपये लेते हैं मगर कार्यवाही नही करते। आखिर कार्यवाही क्यों नहीं करते हैं क्या इनकी जेब में यह पैसा जाता हैं? अगर जाता हैं तो यह जनता को लूट रहे हैं अगर इनके पास नही जाता तो इनके खिलाफ कार्यवाही क्यों नही करते हैं? अगर इस की जाँच की जाये तो सब पता लग जायेगा की यह पैसा किसकी जेब में जाता हैं। आखिर पता होते हुवे भी कार्यवाही विभाग नही करता हैं इसे क्या समझे क्या विभागीय अधिकारी भी इससे सहमत हैं?

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