जैसलमेर। अब रेतीले धोरों से लगती पाक सीमा पर आसान होगी पेट्रोलिंग
जैसलमेर। पश्चिमी राजस्थान से लगती पाक सीमाओें की सुरक्षा के लिए बीएसएफ को नए सैण्ड स्कूटर मिलने वाले हैं। पिछले लम्बे समय से इस रेगिस्तानी सीमा पर चौकसी के लिए जवानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था लिहाजा अब बीएसएफ ने सैण्ड स्कूटर खरीदने का मन बना लिया है।
जानकार सूत्रों की मानें तो पूर्व में बीएसएफ इन रेतीली सीमाओं की सुरक्षा के लिये रेगिस्तान के जहाज उंट का उपयोग लेता था। लेकिन समय बदलने के साथ आधुनिक तकनीकों के विकास होने से अब उंट से भी अधिक उपयोगी सैण्ड स्कूटर जो तेज गति के साथ रेतीले धोरों पर चलते हैं को बीएसएफ अपना साथी बनाने जा रही है। बीएसएफ ने कुछ समय पहले ट्रायल के लिए कुछ सैण्ड स्कूटर खरीदे थे। इन्हें जैसलमेर से लगती सीमा पर प्रायोगिक रूप से उपयोग में लिया था, प्रयोग सफल होने के बाद अब बीएसएफ हर कंपनी हेडक्वार्टर के लिए एक स्कूटर खरीदने की योजना बना रही है। जैसलमेर में चार सीमा चौकियों को मिला कर एक कंपनी हेडक्वार्टर होता है और ऐसे कुल 30 कंपनी हेडक्वार्टर हैं, जिन पर सैण्ड स्कूटर खरीदने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
हालांकि बीएसएफ द्वारा सैण्ड स्कूटरों के उपयोग के बाद से संभावना जताई जा रही थी कि अब यहां से उंटों को रिटायर कर दिया जायेगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि उंट हमेेशा उनका भरोसेमंद साथी रहा है और वे इसे कभी रिटायर नहीं करेंगे। उंटों के साथ साथ आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बल में बढाने के लिये सैण्ड स्कूटर खरीदे जायेंगे। सैण्ड स्कूटर खरीदे जाने के बाद जैसलमेर की दुर्गम सीमाएं जहां दूर दूर तक रेतीले धोरे फैलें हुए हैं वहां पर तत्काल पहुंच के लिए इन स्कूटरों का उपयोग किया जायेगा और साथ ही दुर्गम व विपरीत परिस्थितियों में त्वरित मूवमेंट के लिए भी ये स्कूटर उपयोगी साबित हो सकेगें।
जैसलमेर। पश्चिमी राजस्थान से लगती पाक सीमाओें की सुरक्षा के लिए बीएसएफ को नए सैण्ड स्कूटर मिलने वाले हैं। पिछले लम्बे समय से इस रेगिस्तानी सीमा पर चौकसी के लिए जवानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था लिहाजा अब बीएसएफ ने सैण्ड स्कूटर खरीदने का मन बना लिया है।
जानकार सूत्रों की मानें तो पूर्व में बीएसएफ इन रेतीली सीमाओं की सुरक्षा के लिये रेगिस्तान के जहाज उंट का उपयोग लेता था। लेकिन समय बदलने के साथ आधुनिक तकनीकों के विकास होने से अब उंट से भी अधिक उपयोगी सैण्ड स्कूटर जो तेज गति के साथ रेतीले धोरों पर चलते हैं को बीएसएफ अपना साथी बनाने जा रही है। बीएसएफ ने कुछ समय पहले ट्रायल के लिए कुछ सैण्ड स्कूटर खरीदे थे। इन्हें जैसलमेर से लगती सीमा पर प्रायोगिक रूप से उपयोग में लिया था, प्रयोग सफल होने के बाद अब बीएसएफ हर कंपनी हेडक्वार्टर के लिए एक स्कूटर खरीदने की योजना बना रही है। जैसलमेर में चार सीमा चौकियों को मिला कर एक कंपनी हेडक्वार्टर होता है और ऐसे कुल 30 कंपनी हेडक्वार्टर हैं, जिन पर सैण्ड स्कूटर खरीदने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
हालांकि बीएसएफ द्वारा सैण्ड स्कूटरों के उपयोग के बाद से संभावना जताई जा रही थी कि अब यहां से उंटों को रिटायर कर दिया जायेगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि उंट हमेेशा उनका भरोसेमंद साथी रहा है और वे इसे कभी रिटायर नहीं करेंगे। उंटों के साथ साथ आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बल में बढाने के लिये सैण्ड स्कूटर खरीदे जायेंगे। सैण्ड स्कूटर खरीदे जाने के बाद जैसलमेर की दुर्गम सीमाएं जहां दूर दूर तक रेतीले धोरे फैलें हुए हैं वहां पर तत्काल पहुंच के लिए इन स्कूटरों का उपयोग किया जायेगा और साथ ही दुर्गम व विपरीत परिस्थितियों में त्वरित मूवमेंट के लिए भी ये स्कूटर उपयोगी साबित हो सकेगें।
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