शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

अजमेर। हर वस्तु की खरीद पर बिल तो शराब की खरीद पर ग्राहक को बिल क्यों नही

अजमेर। हर वस्तु की खरीद पर बिल तो शराब की खरीद पर ग्राहक को बिल क्यों नही


अजमेर। उपभोक्ताओं के अधिकार को लेकर कई जन जागरूकता के अभियान समय समय पर सरकार की ओर से चलाए जाते है। इन अभियानों की बदौलत लोगों में जागरूकता भी आई है। लोग बाजार से हर खरीद पर बिल लेने लगे है। मगर शराब के मामले में सरकारों का रवैया हमेशा से लचीला रहा। दरअसल शराब से सरकार को भारी राजस्व की प्राप्ति होती है। ऐसे में शराब की बिक्री पर ग्राहक को बिल देने के नियम को प्रभावी तरीके जारी करने में सरकारों की उदासीनता हमेशा से रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब 2 रूपए की दवा पर बिल देना जरुरी है तो शराब की बोतल खरीदने पर ग्राहक बिल देना क्यों जरुरी नही है।

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महंगाई के दौर में हर वस्तु के दाम बेतहाशा बढ़ चुके है। इस कमर तोड़ती महंगाई से शराब भी अछूती नही रही। सरकार ने शराब को आमजन के लिए सुलभ तो बना दिया। मगर शराब को खरीदने वाले लोगों को सरकार उनका हक नही दिला पाई जो कानून उनका अधिकार है। मसलन शराब की दूकान पर शराब खरीदने वाले व्यक्ति को बतौर ग्राहक के रूप में नही बल्कि शौकीन के रूप में देखा जाता है। फिर चाहे दुकानदार उसे मिलावटी शराब बेचे या अन्य राज्य से तस्करी करके लाइ गई शराब। क्योंकि बेची जाने वाली शराब का तो कोई बिल नही है और यदि ग्राहक शराब को लेकर कोई आपत्ति भी करे तो उसके पास कोई सबूत नही है कि वह शराब उसने कहां से खरीदी क्योंकि उसके पास बिल नही है। यही वजह है कि ग्राहक शराब खरीदने के बाद खुद की रिस्क पर हो जाता है और दुकानदार रिस्क के बाहर।



बरसों से शराब की दुकाने ग्राहकी से आबाद रही है। यही वजह है कि सरकार का खजाना भी शराब की बिक्री से बढ़ा है। यह कार्य तो सरकार का आबकारी विभाग बखूबी अंजाम दे रहा है। मगर क्या राजस्व बढ़ाना ही सरकार की जिम्मेदारी है। शराब के ग्राहकों को शराब की एवज में बिल क्यों नही दिया जा रहा। शराब का शौक रखने वाले अधिकांश लोगों को यह नही मालूम की शराब की खरीद पर वे चाहे तो दुकानदार से बिल प्राप्त कर सकते है। मगर लोगों में जागरूकता की कमी से ग्राहक को दुकानदार बिल नही थमाते और सेल टैक्स बचाकर अपनी चांदी काटते है। वही उन दुकानदारों के लिए मिलावटी या तस्करी की सस्ती शराब को बेचना भी ग्राहक की जागरूकता की कमी से आसान हो जाता है। ग्राहक के लिए हर वास्तु की खरीद पर दुकानदार से बिल लेना जरुरी है। वही शराब खरीदने पर भी बिल लेना नही भूले। याद रखे शराब का बिल आपके पास है तो आपके पास न्याय पाने की भी ताकत है।



सरकार के राजस्व को बढ़ाने में लगे आबकारी विभाग को ग्राहकों के अधिकार से कोई सरोकार नही है। यही वजह है कि बरसों से सरकार के साथ आबकारी विभाग भी शराब की खरीद पर ग्राहक को बिल दिलाने की कवायद आज तक नही कर पाया। विभाग के अधिकारी भी इस बात को मानते है। हालांकि विभाग ने एमआरपी की रेट से अधिक शराब का मूल्य लेने पर दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। अजमेर में 25 मामलो और प्रदेश में हजार बारह सौ दुकानों पर शराब की निर्धारित मूल्य से ज्यादा कीमत वसूलने पर शराब अनुज्ञाधारी के खिलाफ कार्रवाई की है। मगर क्या आपको लगता है कि यह कार्रवाई ना काफी है। आबकारी विभाग को भी अब लगने लगा है कि ऐसे मामलो में ज्यादा दिन सख्ती और नजर नही रखी जा सकती। लिहाजा विभाग के अधिकारी भी मानते है कि ग्राहक को शराब का बिल देने से कई तरह की समस्या से विभाग को राहत मिलेगी। वही ग्राहक को भी संतुष्टि मिलेगी। यही वजह है कि अगली आबकारी निति के तहत शराब की खरीद पर बिल देने के नियम को प्रभावी बनाने की अधिकारी बात कर रहे है।



सहायक आबकारी अधिकारी की माने तो अगले वित्तीय वर्ष में शराब की खरीद पर ग्राहक को बिल जरूर मिलेगा। जाहिर है कि ग्राहक को बिल थमाने से शराब की बिक्री का रिकॉर्ड मेंटेन रहेगा। वहीं बैकडोर से बेची जाने वाली शराब पर भी अंकुश लगेगा। जिससे ग्राहकों को उनके अधिकार पाने में सहूलियत होगी वही सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। अब देखना यह है कि शराब के ग्राहकों को उनका अधिकार देने की सरकार की मंशा क्या रहती है।

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