बुधवार, 9 दिसंबर 2015

बाड़मेर मरूगंगा लूणी नदी की पीड़ा कोई न जाने



बाड़मेर मरूगंगा लूणी नदी की पीड़ा कोई न जाने

रिकों अधिकारी आंखे मूद कर बैठे लाखों का कर रहे है विभाग को नुकसान


ओम प्रकाश सोनी 
बाड़मेर जब से एनजीटी ने लुणी नदी में व ट्रीटमेन्ट प्लांट से प्रदूषित पानी नदी मे छोडने पर रोक लगाई थी उसके पश्चात औद्योगिक ईकाई मालिकों द्वारा भारी मात्रा में पानी टैंकरों के माध्यम से रिकों के चतुर्थ चरण में खाली पडे भूखण्डे में छोडा जा रहा है। प्रदूषित पानी छोडने से रिकों द्वारा लाखो रूपये की लागत से बनाई गई डामरीकरण सडके जिण क्षीण हो गई है। जिसकी पुख्ता जानकारी रिकों विभाग के अधिकारियों को होने के बावजूद आंखे मूंद कर बैठे है, जिससे रिको विभाग को लाखों रूपये का नुकसान हो रहा है। आज भी खुले आम रात्री के समय टेंकरों मालिको द्वारा प्रदूषित पानी सडको पर व खाली भूखण्डों में छोडा जा रहा है।

कागजों में विद्युत कनेक्शन कटे होने के बावजूद कैसे चल रही है औद्योगिक ईकाईयां

प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदूषण बोर्ड अधिकारियों द्वारा एनजीटी के आदेश की पालना को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित औद्योगिक ईकाईयों के विद्युत कनेक्शन मौका देखकर काटे गये थे। लेकिन आज ऐसी अनेक औद्योगिक ईकाईयां संचालित हो रही है जिसके कागजों में मात्र विद्युत कनेक्शन कटे हुए है, मगर मौके पर नजारा कुछ और ही है। सूत्रों के अनुसार प्रदूषण बोर्ड अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसी अनेकों अवैध ईकाईयों का संचालन धडल्ले से जारी है।

प्रशासन व प्रदूषण बोर्ड अधिकारी अवैध संचालित ईकाईयों को दे रहे संरक्षण

प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ माह पूर्व एनजीटी के द्वारा लुणी नदी में प्रदूषित पानी छोडने पर रोक लगाई थी। जिसकी कुछ समय तक तो प्रशासन व प्रदूषण बोर्ड अधिकारी पालना करते रहे, मगर जब से एनजीटी ने औद्योगिक ईकाइयों के संचालन को लेकर कुछ शर्ते व राशि जमा करवाने के आदेश के बाद शुरू करने की राहत प्रदान की है। एनजीटी के उस आदेश की आड लेकर गांधीपुरा क्षेत्र, जैरला रोड व जसोल में स्थित धुपाई मालिकों द्वारा खुले आम एनजीटी के आदेश की धज्जियां उडाते हुए प्रदूषित पानी अवैध रूप से पाईप लाईन के माध्यम व खेली बनाकर लुणी नदी छोडा जा रहा है। जिससे लुणी नदी में प्रदूषित पानी जगह - जगह एकत्रित भरा पडा है।

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