सलाखों से आजाद हुआ बेगुनाह शिक्षक
राजसमंद. जिले के लावासरदारगढ़ कस्बे में महिला के जिंदा जलने के मामले में दहेज हत्या के आरोप में जेल की सलाखों में कैद निलंबित शिक्षक की बेगुनाही सिद्ध होने पर आजाद हो गया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसके जैन ने दहेज हत्या प्रकरण की सुनवाई के बाद आरोपित शिक्षक को निर्दोष करार देते हुए मामले से बरी कर दिया। न्यायिक सूत्रों के मुताबिक 15 अपे्रल 2014 को लावासरदारगढ़ के रेगर मोहल्ले में ज्ञानीदेवी पत्नी गिरीराज रेगर की शरीर पर केरोसिन उड़ेल आग लगाने पर जिंदा जल गई थी। पीहर पक्ष के दहेज हत्या के आरोप पर पुलिस ने विवाहिता के पति गिरीराज रेगर को गिरफ्तार कर लिया, जो तब से ही जिला कारागृह में बंद था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में ट्रायल के दौरान न्यायाधीश जैन ने गवाह व दस्तावेजी साक्ष्य का गहन अध्ययन करने और दोनों ही पक्षों की सुनवाई के बाद आरोपित निलंबित शिक्षक को निर्दोष करार देते हुए धारा 304 बी से मुक्त कर दिया। इसके साथ ही जिला कारागृह से मुक्त रिहा कर दिया गया। आरोपित पक्ष की ओर से पैरवी एडवोकेट देवेंद्रसिंह राठौड़ द्वारा की गई।
ज्वॉइनिंग के साथ गिरफ्तारी वारंट से तलब पुलिस उपाधीक्षक : जिला न्यायालय में विचाराधीन दहेज हत्या के प्रकरण की पेशी से लगातार अनुपस्थित रहने पर जिला न्यायाधीश द्वारा तत्कालीन कुंभलगढ़ व नवनियुक्त राजसमंद डीएसपी माधुरी वर्मा तथा तत्कालीन आमेट थानेदार दिलीपसिंह को गिरफ्तारी वारंट जारी किया। हालांकि फिर डीएसपी 24 अगस्त को व एसआई दिलीपसिंह को 25 अगस्त को न्यायालय में हाजिर हुए, तो न्यायालय की कार्रवाई आगे बढ़ी।
यह है दहेज हत्या का मामला : लावासरदारगढ़ के रेगर मोहल्ला में 15 अप्रैल 2014 को ज्ञानदेवी रेगर (22) आग में जिंदा जल गई। कुछ समय पहले पति गिरीराज मुख्य द्वार से डोरबेल बजाए जा रहा था, मगर ज्ञानदेवी ने दरवाजा नहीं खोला और मोबाइल पर बात में व्यस्त रही। न्यायालय में यह साबित नहीं हो सका कि गिरीराज की वजह से ज्ञानदेवी जिंदा जली। शादी के तीसरे साल ही यह घटना होने पर जांच तत्कालीन आमेट एसडीएम तरु सुराणा द्वारा की गई और बाद में तत्कालीन डीएसपी माधुरी वर्मा ने आरोप पत्र न्यायालय में
पेश किया।
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