बुधवार, 28 अक्टूबर 2015

बाड़मेर, लंबित प्रकरणांे के निस्तारण के लिए प्रभावी पैरवी करेंः शर्मा



बाड़मेर, लंबित प्रकरणांे के निस्तारण के लिए प्रभावी पैरवी करेंः शर्मा

पुलिस एवं अभियोजन विभाग के मध्य समन्वय पर हुआ विचार-विमर्श


बाड़मेर, 28 अक्टूबर। लंबित प्रकरणांे के निस्तारण के लिए प्रभावी पैरवी की जाए। इसके लिए समस्त विभागांे को समन्वित प्रयास करने की जरूरत है। जिला कलक्टर मधुसूदन शर्मा ने बुधवार को जिला मुख्यालय पर पुलिस एवं अभियोजन विभाग के अधिकारियांे के मध्य समन्वय स्थापित करने के लिए आयोजित त्रैमासिक बैठक के दौरान यह बात कही।

बैठक के दौरान जिला कलक्टर मधुसूदन शर्मा ने कहा कि न्यायालयांे मंे विचाराधीन प्रकरणांे मंे पुलिस एवं अभियोजन साक्षियांे को तलब कर बार-बार उपस्थित होने के उपरांत भी साक्ष्य नहीं हो पाती है। इसके कारण ऐसे मामलांे मंे स्वतंत्र व्यक्ति अभियोजन गवाह रहने मंे आनाकानी करते है। अदालत मंे उपस्थित होने के बावजूद शहादत नहीं होने से श्रम, अर्थ एवं समय का अप्व्यय होता है। इसके लिए अभियोजन अधिकारियांे को आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए। जिला कलक्टर शर्मा ने कहा कि हार्ड कोर अपराधी एवं केस आफिसर स्कीम मंे चयनित मामलांे मंे आरोपियांे को सजा दिलाने के लिए एपीपी, पीपी एवं एडीपी साक्षियांे को समझाने, नजदीक तारीख पेश लेने के लिए केस आफिसर का अपेक्षित सहयोग करें। इस दौरान केस आफिसर के उपस्थित नहीं होने के मामले मंे पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख ने कहा कि संबंधित केस आफिसर्स को इसके लिए पाबंद किया जाएगा।

बैठक के दौरान जिला कलक्टर शर्मा ने कहा कि प्रकरणांे के चालान के साथ मालखाना आईटम न्यायालय मंे जमा नहीं होने से बिना वजह पेडिंग रहते है। आबकारी के मामलांे मंे शराब का स्टाक भारी मात्रा मंे थानों मंे जमा पड़ा है जिसकी वजह से स्थान के अभाव मंे खासी दिक्कतें आती है। ऐसे मामलांे मंे माल निस्तारण के लिए अभियोजन की ओर से विशेष तौर पर पैरवी करने की जरूरत है। जिला कलक्टर ने कहा कि अधिकतर अभियोजन अधिकारी अनुसंधानकर्ता के मुख्य बयान के बाद चले जाते है, जबकि क्रास मंे अनावश्यक सवाल होने से अभियोजन अधिकारी को उपस्थित रहकर आवश्यक सहयोग करना चाहिए। उन्हांेने प्रकरणांे मंे पत्रावली की गोपनीयता भी सुनिश्चित करने की जरूरत जताई। उन्हांेने कहा कि पक्षद्रोही होने वाले अभियोजन गवाहांे से अभियोजन अधिकारी को पुनःजिरह करने, जानबूझ कर साक्ष्य नहीं देने एवं आरोपी का बचाव करने वाले तथ्यांे को साबित करने का प्रयास अभियोजन अधिकारी को करना चाहिए। ताकि गवाह पक्षद्रोही होने से बरी होने वाले अपराधियांे पर प्रभाव पड़े। पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख ने कहा कि झूठे मामले दर्ज करवाने की वजह से पुलिस को अनावश्यक दिक्कतांे का सामना करना पड़ता है। उन्हांेने कहा कि झूठे मामले दर्ज करवाने वाले लोगांे के खिलाफ नियमानुसार कानूनी कार्यवाही करवाने का प्रयास कर रहे है। बैठक के दौरान जिला कलक्टर शर्मा ने अभियोजन अधिकारियांे को प्रकरणांे संबंधित पत्रावलियां संधारित करने के निर्देश दिए ताकि जिरह अथवा अन्य कानूनी प्रक्रिया को संपादित करने मंे सहुलियत हो। उन्हांेने एफआर लगने वाले मामलांे की पत्रावलियां भी पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक भिजवाने की प्रक्रिया की टेªकिंग करने के निर्देश दिए। बैठक के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एस.के.बिष्ट ने अवगत कराया कि चिकित्सा विभाग की ओर से 116 नमूने लिए गए। इसमंे से 113 के परिणाम आ चुके है। इसमंे 47 अवमानक/मिक्सब्रांड पाए गए। इसके अलावा 17 मामलांे मंे चालान पेश किया जा चुका है। जबकि 17 मामलांे मंे चालान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इस दौरान जेलर चेनसिंह महेचा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक संजय सावलानी, अभियोजन अधिकारी पंकज कुमार शर्मा, गणपत गुप्ता, सुरेश मोदी समेत संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। इस दौरान महिला अत्याचार एवं अनुसूचित जाति जन जाति के व्यक्तियांे पर होने वाले अत्याचार संबंधित मामलांे की समीक्षा करते हुए इसमंे प्रभावी कानूनी कार्यवाही एवं इसके निस्तारण के लिए प्रयास करने के निर्देश दिए गए।

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