बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

जयपुर।शिक्षकों की सर्वे रिपोर्ट में खुलासा,61 फीसदी छात्र रोजगार के योग्य नहीं



जयपुर।शिक्षकों की सर्वे रिपोर्ट में खुलासा,61 फीसदी छात्र रोजगार के योग्य नहीं

राजस्थान में शिक्षा की गुणवक्ता में काफी गिरावट आई है। इस बात का खुलासा पीयर्सन वॉयस ऑफ टीचर सर्वे-2015 से हुआ है। सर्वे रिपोर्ट शिक्षकों की ओर से बनाई गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 61 फीसदी से भी ज्यादा विद्यार्थी रोजगाार के योग्य नहीं है। सर्वे में रोजगार के लिए शिक्षा को सक्षम बनाने के लिए नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं और शिक्षकों से जानकारी जुटाई गई है।



इसका सबसे बड़ा कारण है यहां का पाठ्यक्रम में उद्योगों से जुडी जानकारी नहीं देना माना जा रहा है। जिसके कारण पढ़ाई पूरी होने के बाद विद्यार्थी जॉब प्राप्त करने के योग्य नहीं रह पाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार को पाठ्यक्रम में बदलावा करने की जरूरत है।







57 प्रतिशत विद्यार्थी शिक्षित

राष्ट्रीय आंकड़े दशाते हैं कि 57 फीसदी भारतीय विद्यार्थी शिक्षित तो हैं, लेकिन रोजगार के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। सर्वे में भाग लेने वालों ने शिक्षाविदों के सहयोग में वृद्धि, विशेष रूप से पाठ्यक्रम पुर्नसंरचना 75 फीसदी का आह्वान किया है, ताकि रोजगार योग्यता में मदद मिल सके । दिलचस्प बात यह है कि शिक्षक समुदाय 44 फीसदी ने विद्यार्थियों के लिए मेरिट-आधारित उद्योग इंटर्नशिप्स 48 फीसदी के अलावा शिक्षकों के लिए उद्योग प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया है।







प्रदेश के 25 शहरों से जुटाएं तथ्य

राज्य के जयपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर, अलवर, बीकानेर, जोधपुर, नीमराना, भरतपुर, भीलवाड़ा, बिजयनगर, मकराना, पिलानी, सीकर सहित 25 शहरों सर्वो के लिए आंकड़े जुटाए गए हैं। जुलाई- अगस्त के बीच किया गया यह सर्वेक्षण भारत में 527 शहरों व कस्बों ने विद्यालयों व उच्च शिक्षा संस्थानों के 5,387 शिक्षकों के विचार प्रस्तुत करता है। इस सवेज़् के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र में अग्रणी रणनीतिक बाजार बौद्धिकता कंसल्टेंसीज में से एक, स्पायर रिसर्च एंड कंसल्टिंग ने पीयरसन के साथ इसमें भागीदारी की है।



शिक्षक व अभिभावकों में तालमेल का अभाव

पीयरसन के निदेशक दीपक ने कहा कि 52 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि भारत के शैक्षिक मूल्यांकन ढांचे में समग्र शिक्षा प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए शिक्षकों व अभिभावकों के लिए विशिष्ट कार्य बिंदुओं का अभाव है।

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