बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

वाशिंगटन।चीन के साथ 1962 के युद्ध में नेहरू ने मांगी थी अमेरिका से मदद



वाशिंगटन।चीन के साथ 1962 के युद्ध में नेहरू ने मांगी थी अमेरिका से मदद

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चीन के साथ 1962 के युद्ध के दौरान चीन के तेज होते आक्रमण को रोकने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी। उन्होंने भारत को लड़ाकू विमान मुहैया कराने के लिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को पत्र लिखा था।

एक किताब में दावा किया गया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के संस्थापक माओ त्से तुंग ने 1962 में भारत पर हमला नेहरू को अपमानित करने के लिए किया था, जो तीसरी दुनिया के नेता के रूप में उभर रहे थे। इस बात का खुलासा सीआईए के पूर्व अधिकारी ब्रूस रिडेल ने अपनी किताब जेएफकेज फार्गटन क्राइसिस: तिब्बत, सीआईए एंड इंडो-चाइना वार में किया है।



उन्होंने लिखा है कि भारत द्वारा फारवर्ड पॉलिसी लागू किए जाने से सितम्बर 1962 में चीन भड़क गया। माओ का ध्यान नेहरू पर था, लेकिन भारत की पराजय माओ के दो और दुश्मनों (निकिता खुर्शचेव और कैनेडी) के लिए भी बड़ा धक्का होता।







चीन के आक्रमण से जब भारत के पैर उखड़ रहे थे और उसके सैनिक बड़ी संख्या में हताहत हो रहे थे तो नेहरू ने कैनेडी को एक पत्र लिखा कि भारत को चीन के आक्रमण की उफनती लहर को रोकने के लिए परिवहन और लड़ाकू विमानों की जरूरत है। बाद में नेहरू ने एक और पत्र कैनेडी को लिखा था। घबराहट भरी हालत में लिखे गए इस पत्र को अमरीका में तत्कालीन भारतीय राजदूत बीके नेहरू ने खुद 19 नवंबर को कैनेडी को सौंपा था।







अमरीकी भागीदारी का किया था अनुरोध
रिडले ने अपनी किताब में लिखा है कि नेहरू कैनेडी से चीन के खिलाफ हवाई युद्ध में भागीदारी करने को कह रहे थे। यह भारतीय प्रधानमंत्री की ओर से की गई पुरजोर अपील थी। नेहरू की चि_ी से पहले भारत में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत गालब्रेथ ने व्हाइट हाउस को एक टेलीग्राम भेजा, जिसमें राष्ट्रपति को पहले से ही सूचित किया गया कि इस प्रकार का अनुरोध भारत की ओर से आने वाला है। पत्र में नेहरू ने अमेरिकी वायुसेना से 12 स्क्वाड्रन की अपील की थी। रिडेल ने शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकलिन इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित पुस्तक समीक्षा समारोह में इस बारे में जानकारी दी।



पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल नहीं करने का दिया था आश्वासन
रिडेल ने किताब में इस पत्र का हवाला देते हुए लिखा है कि नेहरू ने कहा था कि सभी मौसमों के अनुकूल सुपरसोनिक की कम से कम 12 स्क्वाड्रन की जरूरत है। हमारे पास देश में आधुनिक रडार कवर नहीं है। हमारे कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिए जाने के दौरान, अमेरिकी वायुसेना के कर्मचारियों को इन लड़ाकू विमानों और राडार को संचालित करना होगा।



इसके अलावा नेहरू ने तिब्बत पर हमला बोलने के लिए बी 47 बमवषर्क विमान की दो स्क्वाड्रन की अपील की थी।' पत्र में नेहरू ने कैनेडी को आश्वस्त किया था कि इन बमवषर्कों का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं किया जाएगा, बल्कि इनका इस्तेमाल केवल चीन को रोकने के लिए ही होगा।

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