बुधवार, 30 सितंबर 2015

धोलपुर हाऊस मामले में राजे के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज

धोलपुर हाऊस मामले में राजे के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज


जयपुर राजस्थान उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ कार्रवाई किए जाने को लेकर दायर एक याचिका को बुधवार यह कहकर खारिज कर दिया कि याचिका के आधार पर प्रतिवादियों के खिलाफ कोई आरोप तय नहीं किया जा सकता है।

गौरतलब है कि राम सिंह कस्वा और संजना श्रेष्ठ ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि मुयमंत्री वसुंधरा राजे ,उनके पूर्व पति हेमन्त सिंह,सांसद पुत्र दुष्यन्त सिंह ,सीबीआई अधिकारियों ,केन्द्रीय शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय ,भरतपुर के उप रजिस्ट्रार (स्टांप) और तत्कालीन भरतपुर कलेक्टर ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया था तथा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर संपत्ति का हस्तांतरण स्टांप ड्यूटी की चोरी की थी।

इस याचिका पर नौ सितबर , 2015 को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रशान्त कुमार अग्रवाल की एकल पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले की आज की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की पैरवी मशहूर अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने की।



याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने पहले कार्यकाल में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने पूर्व पति हेमन्त सिंह के साथ समझौता कर राज्य सरकार नई दिल्ली में पंचशील मार्ग स्थित केन्द्र सरकार की संपत्ति धौलपुर हाऊस तथा अन्य संपत्तियों को अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के नाम हस्तांतरित कर दिया था।



राजे और उनके पूर्व पति के बीच समझौते के बाद उन्होंने 9 अप्रैल , 2007 को भरतपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय से अपने पक्ष में एक आदेश जारी करा लिया था ।



याचिका में कहा गया है कि सत्र न्यायालय ने इस मामले में केन्द्र एवं राज्य सरकार को पार्टी बनाए बगैर राजे तथा दुष्यंत सिंह को एक्स पार्टी मानते हुये उनके पक्ष में आदेश जारी किया। याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि संपत्ति हस्तांतरण में स्टांप ड्यूटी की अपवंचना भी की गई है।



याचिकाकर्ता का दावा है कि हस्तांतरित की गई कुल संपत्ति की कीमत 15 हजार करोड़ रुपए थी और उस पर नियमानुसार स्टांप ड्यूटी 103 करोड़ रुपए अदा की जानी थी लेकिन यह संपत्ति कुल 10 हजार करोड रुपये दिखाई गई थी और इसमें स्टांप ड्यूटी की भारी अपवंचना की गई है।



याचिकाकर्ता ने इस मामले में अगस्त , 2013 में सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी और जयपुर की सीबीआई अदालत में याचिका दायर की थी लेकिन वहां से खारिज होने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

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