नई दिल्ली।लाल डायरी और थर्मस से हो सकता था लाल बहादुर शास्त्री की मौत का खुलासा
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीकी रहस्यमय पर विवाद एक बार फिर गहरा गया है। उनकी मौत के कारणों की जांच के लिए राजनारायण कमेटी बनाई गई थी लेकिन शास्त्री के डॉक्टर की रहस्यमय मौत से यह जांच अधूरी रह गई।
ताशकंद में मौजूद रहा शास्त्री का घरेलू नौकर भी हादसे का शिकार हो गया। जब शास्त्री का शव भारत लाया गया तो जो सामान साथ आया उसमें शास्त्री की कुछ निजी चीजें भी गायब थीं। लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने कहा कि वह एक लाल डायरी रखते थे। इसमें वह अपनी दिनचर्या लिखते थे। 11 जनवरी 1966 को उनकी मौत के बाद वह डायरी भारत नहीं आई।
इसके अलावा वह एक थर्मस भी रखते थे, जिसमें रात को पानी या दूध पीते थे। वह थर्मस भी ताशकंद से नहीं आया। थर्मस की जांच साफ से यह खुलासा हो सकता था कि कहीं उन्हें जहर देकर तो नहीं मारा गया था।
शास्त्री परिवार के करीब रहे एक नेता ने बताया था कि जब शास्त्री का शव ताशकंद से लाया गया था तो उनकी पत्नी ललिता शास्त्री को उनके चश्मे के केस से एक फटा कागज मिला था। माना जाता है कि फटा हुआ कागज उसी लाल डायरी का था। उस कागज के मिलने के बाद ही ललिता शास्त्री ने शास्त्री को जहर देने का शक जताया था।
जब इंदिरा गांधी ने शास्त्री का अंतिम संस्कार इलाहाबाद में कराने का प्रस्ताव रखा, तो ललिता शास्त्री ने कड़ा विरोध जताया था। इंदिरा गांधी नहीं चाहती थी कि दिल्ली में जय-जवान जय किसान का नारा गूंजे। ललिला शास्त्री के विरोध के बाद शास्त्री का अंतिम संस्कार दिल्ली में किया गया था।
पोस्टमार्टम तक नहीं हुआ
शास्त्री के शव का न पोस्टमार्टम हुआ और न ही उनकी मौत की ठीक से जांच हुई। हालांकि जनता पार्टी सरकार के वक्त राज नारायण कमेटी बनी थी लेकिन अब इसके रिकॉर्ड नहीं मिलते हैं। शास्त्री के डॉक्टर आरएन चुग जब राज नारायण कमेटी के सामने गवाही देने जा रहे थे, तब उन्हें एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इस हादसे में उनकी मौत हो गई थी। गवाही देने के लिए शास्त्री का घरेलू नौकर रामनाथ भी आया था। गवाही से ठीक पहले उसने ललिता शास्त्री से मुलाकात की थी। वहां से निकलने के बाद जब वह संसद जा रहा था, तब उसे किसी गाड़ी ने उसे भी टक्कर मार दी। हादसे में रामनाथ का पैर काटना पड़ा और उसकी याददाश्त हमेशा के लिए चली गई। बाद में उसकी भी मौत हो गई।
सरकारों ने सच नहीं बताया
भाजपा नेता और लाल बहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकारों ने जानबूझ कर देश को सच नहीं बताया। अनिल शास्त्री ने सरकार से लाल बहादुर शास्त्री की मौत की जांच की मांग की है।
ताशकंद में मौजूद रहा शास्त्री का घरेलू नौकर भी हादसे का शिकार हो गया। जब शास्त्री का शव भारत लाया गया तो जो सामान साथ आया उसमें शास्त्री की कुछ निजी चीजें भी गायब थीं। लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने कहा कि वह एक लाल डायरी रखते थे। इसमें वह अपनी दिनचर्या लिखते थे। 11 जनवरी 1966 को उनकी मौत के बाद वह डायरी भारत नहीं आई।
इसके अलावा वह एक थर्मस भी रखते थे, जिसमें रात को पानी या दूध पीते थे। वह थर्मस भी ताशकंद से नहीं आया। थर्मस की जांच साफ से यह खुलासा हो सकता था कि कहीं उन्हें जहर देकर तो नहीं मारा गया था।
शास्त्री परिवार के करीब रहे एक नेता ने बताया था कि जब शास्त्री का शव ताशकंद से लाया गया था तो उनकी पत्नी ललिता शास्त्री को उनके चश्मे के केस से एक फटा कागज मिला था। माना जाता है कि फटा हुआ कागज उसी लाल डायरी का था। उस कागज के मिलने के बाद ही ललिता शास्त्री ने शास्त्री को जहर देने का शक जताया था।
जब इंदिरा गांधी ने शास्त्री का अंतिम संस्कार इलाहाबाद में कराने का प्रस्ताव रखा, तो ललिता शास्त्री ने कड़ा विरोध जताया था। इंदिरा गांधी नहीं चाहती थी कि दिल्ली में जय-जवान जय किसान का नारा गूंजे। ललिला शास्त्री के विरोध के बाद शास्त्री का अंतिम संस्कार दिल्ली में किया गया था।
पोस्टमार्टम तक नहीं हुआ
शास्त्री के शव का न पोस्टमार्टम हुआ और न ही उनकी मौत की ठीक से जांच हुई। हालांकि जनता पार्टी सरकार के वक्त राज नारायण कमेटी बनी थी लेकिन अब इसके रिकॉर्ड नहीं मिलते हैं। शास्त्री के डॉक्टर आरएन चुग जब राज नारायण कमेटी के सामने गवाही देने जा रहे थे, तब उन्हें एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इस हादसे में उनकी मौत हो गई थी। गवाही देने के लिए शास्त्री का घरेलू नौकर रामनाथ भी आया था। गवाही से ठीक पहले उसने ललिता शास्त्री से मुलाकात की थी। वहां से निकलने के बाद जब वह संसद जा रहा था, तब उसे किसी गाड़ी ने उसे भी टक्कर मार दी। हादसे में रामनाथ का पैर काटना पड़ा और उसकी याददाश्त हमेशा के लिए चली गई। बाद में उसकी भी मौत हो गई।
सरकारों ने सच नहीं बताया
भाजपा नेता और लाल बहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकारों ने जानबूझ कर देश को सच नहीं बताया। अनिल शास्त्री ने सरकार से लाल बहादुर शास्त्री की मौत की जांच की मांग की है।
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