बाड़मेर जेल की भूमि पर अतिक्रमण का मामला न्याय मित्र बोथरा कल शनिवार को देखेंगे मौका
बाड़मेर। बाड़मेर जेल को आवंटित दस बीघा से भी ज्यादा भूमि पर किए गए कब्जों और अतिक्रमणों की शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त न्याय मित्र दिनेश बोथरा की मौजूदगी में पैमाइश होगी। इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की जाएगी। इस मामले में अगली सुनवाई 29 सितंबर को है। जोधपुर केंद्रीय कारागृह में बंद कैदी भंवरलाल ने राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। पत्र में भंवरलाल ने बताया कि वह बाड़मेर जिले के नागाणा गांव का निवासी है और जोधपुर कारागार में अब तक भुगती गई सजा के आधार पर ओपन जेल में रहने की पात्रता रखता है, लेकिन बाड़मेर जेल की भूमि पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण होने से वहां ज्यादा बंदियों को ओपन कैम्प में रखने की जगह नहीं है। इस कारण उसके आवेदन पर जेल विभाग विचार नहीं कर रहा। ऐसे में उसके मानवाधिकार का हनन हो रहा है। इस पत्र को मुख्य न्यायाधीश ने जनहित याचिका मानते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। इस मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत कर दिया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में वस्तुस्थिति रखने के लिए अधिवक्ता दिनेश बोथरा को न्याय मित्र नियुक्त किया है। न्याय मित्र बोथरा शनिवार को जेल को आवंटित भूमि एवं उस पर कब्जों की पैमाइश करवाएंगे। उसके आधार पर हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की जाएगी। राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि आवंटन के समय भूमि पर किसी का कब्जा नहीं था। वर्ष 1980 में 9 लोगों ने इस पर कब्जा किया। इसके बाद 16 अन्य कब्जाधारियों का भी पता चला। बाद में कई अन्य लोग काबिज हो गए। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 18 अप्रैल, 1967 को बाड़मेर के खसरा नं 2985/4090 तथा खसरा नं 2974/148 की 32 बीघा 4 बिस्वा भूमि तत्कालीन सब जेल को आवंटित की थी। यह भूमि वर्तमान में राजस्व रिकाॅर्ड में जेल विभाग के नाम दर्ज है। आवंटन के समय इस भूमि पर किसी तरह का अतिक्रमण नहीं था, लेकिन वर्तमान में दस बीघा से भी भूमि पर अतिक्रमण हो गए हैं। कुछ अतिक्रमणकारियों ने नगर परिषद, बाड़मेर से आवासीय पट्टे भी उठा लिए हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें