मंगलवार, 11 अगस्त 2015

जयपुर परिवार छोड़ ठेकेदार की पत्नी ले भागा सीआरपीएफ का जवान



जयपुर परिवार छोड़ ठेकेदार की पत्नी ले भागा सीआरपीएफ का जवान


दो बच्चे, पत्नी और मां बाप के अलावा सीआरपीएफ की नौकरी छोड़ साढ़े तीन साल से फरार चल रहा सीआरपीएफ का जवान दशरथ हिमाचल प्रदेश की एक फेक्ट्री में मजदूरी करते पुलिस के हत्थे चढ़ा। दशरथ भीलवाड़ा के एक ठेकेदार की पत्नी को भागा ले गया था।

जिसे तलाशते हुए भीलवाड़ा पुलिस हिमाचल पहुंची थी। वहीं से दशरथ को भी पकड़ लाई और सोमवार को नीमकाथाना पुलिस के हाथों सौंप दिया। इससे पहले दशरथ के पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी।

पुलिस की जांच में एक बार तो किसी व्यक्ति का कंकाल मिलने पर उसे मृत मान लिया और आश्रितों को सीआरपीएफ की ओर से सहायता राशि व पेंशन भी चालू कर दी। दशरथ पर राजस्थान पुलिस ने 25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा था।

आईजी डीसी जैन ने बताया कि दशरथ झुन्झुनूं के दोरादास का रहने वाला है। उसने 1998 से सीआरपीएफ में सिपाही के पद पर नौकरी ज्वॉइन की। दशरथ फरवरी 2012 मे अपनी यूनिट बिहार के गया से एक महीने के लिए अवकाश पर गया था।

समय सीमा पूरी होने के बाद से तलाश की गई तो इसका कोई पता नहीं चला। आरोपी के भाई पवन ने 21 अप्रेल 2012 को गुमशुदगी दर्ज कराई। 26 मई को 2012 को पिता ने रमन वर्मा, अरविंद और विपिन के अपहरण का मामला दर्ज कराया।

वहीं हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी दायर कर दी। कई दफा पुलिस के अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष मामले में जाना पड़ा। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राकेश काछवाल ने मामले की जांच के लिए मोबाइल की अंतिम लोकेशन से शुरू की।

कंकाल को माना दशरथ का

अगस्त 2012 में जांच टीम को चुरू के रतननगर में मिले मानव कंकाल की 4 हड्डी के टुकड़े को गुमशुदा दशरथ के मान जांच की दिशा मोड़ी गई। कंकाल की उम्र, गायब होने के समय तथा टॉवर लोकेशन व घटना स्थल में समानता होने से हड्डियों का डीएनए जांच कराई गई। पर रिपोर्ट में कंकाल दशरथ का नहीं मिला।

इसके बाद दशरथ के पिता के आधार पर आरोपी रमन वर्मा को नई दिल्ली से गिर तार किया गया। उसके सहयोगी भूषण कुमार को हिसार से पकड़ा गया। दोनों आरेापी अखबारों मे फर्जी इश्तेहार देकर लोगों को लोन के नाम पर धोखाधडी का काम करते है, पूछताछ में सामने आया कि आरोपियों ने दशरथ को तीन लाख रुपए के लोन का झांसा देकर धोखाधड़ी कर 6 हजार रुपए अपने खाते मे डलवाए थे। उन्हें गिर तार कर लिया गया।

धर्मशाला में रहकर मजदूरी करता रहा

दशरथ के मोबाईल फोन पुलिस को जोधपुर से मिला। पुलिस टीम ने छोटी सादड़ी में पूछताछ की। जानकारी में आया कि दशरथ चित्तौडगढ़ रेलवे स्टेशन के पास सांवरिया लॉज व जैन धर्मशाला में रुका था। यहां पर वह सवारी वाहनों में चालक का काम करता था।

यहां से एक ठेकेदार की पत्नी को भगाकर ले गया। महिला की गुमशुदगी भीलवाड़ा थाने में दर्ज है। पुलिस को हिमाचल के बद्दी गांव की फेक्ट्री में दशरथ के मजदूरी करने की जानकारी मिली तो पुलिस ने पकड़ लिया और जयपुर लाकर हाईकोर्ट में पेश किया।

परिजन ले रहे आर्थिक सहायता व पेंशन

दशरथ की गुमशुदगी को दो साल होने के बाद से मृत मानते हुए पत्नी चंद्रकला सीआरपीएफ से करीब 17 लाख रुपए आर्थिक सहायता के ले चुकी है वहीं डेढ़ साल से पेंशन के 12 हजार रुपए मासिक भी ले रही है। दशरथ के पकड़े जाने की जानकारी पुलिस ने सीआरपीएफ को भी दे दी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें