मंगलवार, 11 अगस्त 2015

बाखासर में भी बंदरगाह का निर्माण किया जाना संभव है।सांसदकर्नल सोनाराम

बाखासर में भी बंदरगाह का निर्माण किया जाना संभव है।सांसदकर्नल सोनाराम 

बाड़मेर | सांसदकर्नल सोनाराम चौधरी ने सोमवार को संसद में नियम 377 के तहत बाडमेर के बाखासर में सूखा बंदरगाह के निर्माण की मांग रखते हुए कहा कि कच्छ का रण गुजराज में अरब सागर से बाडमेर के बाखासर तक फैला हुआ है। कच्छ रण को बाखासर के साथ एक नहर या चैनल बनाकर जोड़ा जा सकता है। इस मार्ग की कुल लंबाई 300 किमी. है। कच्छ रण की भूमि समतल और दलदल युक्त है। अरब सागर से बाखासर तक कोई बड़ी पहाड़ी या चट्टाने भी नहीं है। वर्षों से पड़ी बंजर भूमि है, जिस पर खेती भी नहीं होती। इस पूर्ण भू-भाग में कोई आबादी नहीं है। यहां की भूमि में रेतीली एवं दलदल का क्षेत्र है। जिस प्रकार से मिश्र में स्वेज नहर और पश्चिमी बंगाल में हलदीय बंदरगाह का निर्माण किया गया है उसी तरह बाखासर में भी बंदरगाह का निर्माण किया जाना संभव है।

इस कैनाल का ज्यातर रास्ता गुजरात में पडेगा। इसके निर्माण से गुजरात एवं राजस्थान नहीं पूरे देश को फायदा होगा। आधुनिक नई तकनीक से यह कार्य जल्दी एवं कम खर्च में हो जाएगा। भू-वैज्ञानिकों को ऐसे प्रमाण मिले है कि पश्चिमी बाडमेर कभी समुद्र में ही था और कच्छ का रण, अरब से लेकर बाडमेर और दक्षिण में जैसलमेर तक फैला हुआ था।

यह पूरा क्षेत्र कैम्बे बैसिन का ही हिस्सा है। अगर बंदरगाह खुलता है तो लगभग 200 किमी. गुजरात की लवणीययुक्त भूमि का सुधार हो जाएगा। कच्छ क्षेत्र से सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा को मजबूती मिलेगी। इससे राजस्थान में समुद्री जहाजों का आना संभव हो सकेगा।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें