जयपुर।108 एम्बुलेंस घोटालाः गहलोत-पायलट के खिलाफ सीबीआई जांच
कांग्रेस राज में हुए 108 एंबुलेंस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट सहित कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की मुश्किलें बढ़ गईं है।
इस मामले को सीबीआई ने जांच के लिए अपने हाथों में ले लिया है। इस घोटाले को लेकर सीबीआई के अधिकारियों ने आज केस रजिस्टर करते शुरू कर दी है।
सीबीआई ने जिगित्सा हेल्थकेयर के तत्कालीन निदेशकों और सरकारी मुलाज़िमों पर 420, 467, 468, 471 और 120 B के तहत मुकदमा दर्ज़ किया है।
मुकदमा दर्ज करने के साथ ही सीबीआई की टीमों ने मुंबई और जयपुर में जिगित्सा फार्मों के दफ्तरों में सर्च अभियान के तहत कार्यवाई करते हुए दस्तावेज़ों को अपने कब्ज़े में ले लिया है।
वसुंधरा सरकार ने की थी सीबीआई जांच की अनुशंसा
कांग्रेस राज में 108 एंबुलेंस घोटाले की राज्य सरकार ने सीबीआई से जांच करवाने का फैसला पहले ही ले लिया था। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मंजूरी मिलने के बाद इस मामले की फाइल गृह विभाग के पास भेज दी थी।
कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज़ हुई थी एफआईआर
108 एंबुलेंस घोटाले में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज हुई थी। इसमें पूर्व सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्तिक चिदंबरम सहित कांग्रेस के कई दिग्ग्ज नेताओं और उनके पुत्रों के नाम शामिल थे।
जांच के पीछे सियासी वजह
एंबुलेंस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के पीछे सियासी वजह है। एंबुलेंस घोटाले का मामला विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने खूब उठाया था और ब्लैक पेपर में भी इस घोटाले का जिक्र किया था।
विपक्ष में रहते हुए भाजपा लगातार कांग्रेस पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाती रही है। सीबीआई को कांग्रेस ब्यूरो आॅफ इंवेस्टिगेशन कहा गया, लेकिन सत्ता में आते ही भाजपा को सीबीआई रास आने लगी।
हालांकि एंबुलेंस घोटाले की सीबीआई जांच कराने के सरकार के पास अपने तर्क है। इस मामले में एफआईआर कोर्ट के आदेश पर हुई, हाईप्रोफाइल मामला होने से जांच सीबी-सीआईडी को दी गई।
सीबी-सीआईडी ने सरकार को यह तर्क देकर सीबीआई जांच का प्रस्ताव भेजा कि इस मामले में जिन नेताओं के नाम है वे ज्यादातर राजस्थान से बाहर के है। इसलिए वह जांच करने में सक्षम नहीं है, लिहाजा सीबीआई से ही इसकी जांच करवाई जाए।
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