रविवार, 26 अप्रैल 2015

बीकानेर श्रीराम-सीता के पांच हजार साल पुराने साक्ष्य मिले



बीकानेर श्रीराम-सीता के पांच हजार साल पुराने साक्ष्य मिले

Ram-Sita's five thousand year old evidence
भगवान श्रीराम व सीया के होने के पांच हजार साल पुराने पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं। यह प्रमाण कालीबंगा में सुरक्षित एक मृण प्रतिमा (मिट्टी की प्रतिमा) में मिले हैं। कालीबंगा में सुरक्षित एक प्राचीन मृण प्रतिमा का अध्ययन करने के बाद पुरातत्वविद् जफर उल्लाह खां ने इसे भगवान श्रीराम और सीता की आकृतियां करार दिया है।

यह मृण प्रतिमा तीन हजार ईसा पूर्व की है। मृण प्रतिमाओं को पुरातात्विक भाषा में टेराकोटा कहा जाता है। इस टेराकोटा में एक पुरुष एवं एक महिला की आकृति का अंकन है। महिला आकृति को पुरुष के बायीं ओर वामांग खड़ी मुद्रा में दर्शाया गया है। इस प्रकार मृण प्रतिमा में देवी सीता को श्रीराम के बांयी तरफ खड़े हुए बताया गया है। देवी सीता के सिर पर बालों की दो चोटियां बंधी हुई है, बालों की चोटियों को सुंदर रूप से गूंथकर बांध रखा है।

देवी सीता ने अपने दोनों हाथों को सीधी मुद्रा में नीचे कर रखा है। वहीं श्रीराम के सिर पर एक जुडा बंधा हुआ है। श्रीराम ने अपना दायां हाथ ऊपर कर रखा है और बायां हाथ नीचे की ओर है। श्रीराम का मुखमण्डल भी बायीं ओर देवी सीता की ओर देखते हुए बनाया गया है। पुरातत्वविद् खां ने बताया कि हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार परम्परागत रूप से प्राचीन काल से एक पुरुष आकृति के साथ बायें हाथ की तरफ खड़ी महिला के अंकन को देवी सीता के रूप में देखा व पहचाना जाता रहा है।

ये मृण प्रतिमा कालीबंगा से मिली है। इस पुरास्थल को चार हजार ईसा पूर्व माना जाता है। उक्त मृण प्रतिमा एवं चिन्हित मुद्राओं पर अंकित मानव आकृति के हाथ व अंगुलियों की बनावट, पुरुष आकृति के सिर पर बंधा जूड़ा एवं महिला आकृति के सिर पर बंधी दोनो चोटियों में एकरूपता व समानता है। इस बारे में कालीबंगा म्यूजियम के प्रभारी प्रवीण से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त मृण प्रतिमा मुद्रा जितनी बड़ी है, जिसे हड्डपाकाल में अच्छे काम की मंजूरी देने के वक्त लगाया जाता था।

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