रविवार, 26 अप्रैल 2015

जोधपुर दस वर्ष बाद दोस्त की हत्या के आरोप से मिली मुक्ति

जोधपुर दस वर्ष बाद दोस्त की हत्या के आरोप से मिली मुक्ति
out of charge after ten years in friend's murder case
राजस्थान उच्च न्यायालय ने दोस्त की हत्या के मामले में दस वर्ष से सजा काट रहे बीकानेर जिले के हजारीराम को जिला न्यायालय का फैसला पलटते हुए दोषमुक्त कर तत्काल रिहा करने का आदेश दिया हैं। उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास व न्यायाधीश अनुपेन्द्रसिंह ग्रेवाल की खण्डपीठ ने अपीलार्थी की अपील मंजूर करते हुए अपर जिला न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक) बीकानेर के 25 फरवरी 2006 को दिए निर्णय को अपास्त करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश की गई परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर और अपीलार्थी से बरामद हथियार के आधार पर उसे अपने दोस्त रामेश्वरलाल की हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
खण्डपीठ ने अधीनस्थ न्यायालय के निर्णय को रद्द करते हुए कहा कि न तो अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य साक्ष्य की सभी कडिय़ां जोड़ पाया है और न ही ऐसी ठोस वजह बता पाने में कामयाब रहा है, जिसके आधार पर अपीलार्थी को अपने दोस्त की हत्या का दोषी ठहराया जा सके।
अभियोजन के तर्क
राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक चन्द्रशेखर का कहना था कि अधीनस्थ न्यायालय का निर्णय पूर्णतया साक्ष्य पर आधारित है। उनका कहना था कि अभियोजन पक्ष के महत्वपूर्ण गवाह भंवरलाल, कनीराम तथा अर्जुनराम की साक्ष्य से यह प्रमाणित है कि 31 मार्च 2005 की रात्रि हजारीराम मृतक रामेश्वरलाल को बुलाकर अपने घर पर ले गया था तथा अंतिम बार उसके साथ शराब पीते हुए उसके घर पर ही देखा गया था। उनका यह भी कहना था कि अपीलार्थी की सूचना पर ही खून भरी कुल्हाड़ी बरामद की गई थी।
अपीलार्थी की दलील
जबकि अपीलार्थी के न्यायमित्र अभिषेक का कहना था कि अभियोजन पक्ष की साक्ष्य व दस्तावेज के आधार पर अधीनस्थ न्यायालय का निर्णय अनुचित है और उनके द्वारा साक्ष्यों की सही विवेचना नहीं की गई है। उनका कहना था कि रामेश्वर की हत्या उसके ससुराल पक्ष द्वारा की गई थी और उन्हीं के मोहल्ले में उसकी लाश मिली थी। अपीलार्थी मृतक का अच्छा दोस्त था। उसकी हत्या करने का कोई कारण नहीं था और न ही अभियोजन कोई कारण बता पाया है। उनका कहना था कि 31 मार्च 2005 को न तो रामेश्वरलाल के घर पर वह गया और न ही अपने घर लाकर उसे शराब पिलाई थी।
तत्काल किया रिहा
सभी पक्षों को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायाधीश व्यास की खण्डपीठ ने अपने 15 पृष्ठों के विस्तृत फैसले में अपीलार्थी हजारीराम को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के आरोप से दोषमुक्त कर तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें