शुक्रवार, 20 मार्च 2015

मजिस्ट्रेट मशीनी तौर पर नहीं दें प्रसंज्ञान आदेश-हाईकोर्ट

मजिस्ट्रेट मशीनी तौर पर नहीं दें प्रसंज्ञान आदेश-हाईकोर्ट


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने मारपीट के मामले में लिए गए प्रसंज्ञान आदेश को रद्द कर पुन: निचली अदालत में सुनवाई के लिए भेजा है। इसके साथ ही अदालत ने मजिस्ट्रेटों को आदेश दिए हैं कि वे प्रसंज्ञान आदेश देते समय मशीनी तौर पर काम न कर अपने विवेक का इस्तमाल करें। वहीं अदालत ने जिला न्यायाधीश को इस आदेश की पालना के लिए कहा है।

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न्यायाधीश मनीष भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश सुरजप्रकाश शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में कहा गया कि 2009 में याचिकाकर्ता के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज हुआ था। जिसमें याचिकाकर्ता को छह माह के लिए पाबंद कर दिया गया। वहीं इसी प्रकरण में अशोक चौधरी की शिकायत पर सदर थाने ने एफआईआर दर्ज की। जिसमें पुलिस की ओर से पेश आरोप पत्र पर अदालत ने प्रसंज्ञान ले लिया। याचिका में कहा गया कि निचली अदालत ने मशीनी तौर पर प्रोफॉर्मा में याचिकाकर्ता का नाम भरकर प्रसंज्ञान आदेश दिया है, जबकि आदेश देते समय उसे अपने विवेक का इस्तमाल करना चाहिए था।



जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने निचली अदालत के प्रसंज्ञान आदेश को रद्द कर मजिस्ट्रेटों को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।

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