डेजर्ट नेशनल पार्क जैसलमेर क्षेत्र में राज्य पक्षी गोडावण का कुनबा बढ़ा
जैसलमेर पश्चिमी राजस्थान के विविख्यात राष्ट्रीय मरूउद्यान में राज्य-पक्षी गोडावण की संख्या में एक दशक बाद इजाफा हुआ है.
जैसलमेर पश्चिमी राजस्थान के विविख्यात राष्ट्रीय मरूउद्यान में राज्य-पक्षी गोडावण की संख्या में एक दशक बाद इजाफा हुआ है.
राष्ट्रीय मरूउद्यान, जैसलमेर के उपनिदेशक अनोप के. आर. के अनुसार कि गत कुछ समय के दौरान मरूउद्यान क्षेत्र में गोडावण की संख्या बढ़ी है.
जैसलमेर जिले के पोकरण उपखण्ड के रामदेवरा क्षेत्र में 10 नर और 13 मादा गोडावण तथा बांधेवा क्षेत्र में दो नर, चार मादा गोडावण देखे गये हैं.
उन्होंने बताया कि नौ साल बाद पहली बार इस इलाके में गोडावण की संख्या में इजाफा हुआ है. यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है क्योकि इसी इलाके के पास सेना की फील्ड फायरिंग रेंज है. प्रतिबंधित क्षेत्र होने से वहां गणना नहीं की जा सकी है.
वन विभाग के अनुसार 1980 के दशक में थार मरूस्थल, जैसलमेर जिले के सम, सुदासरी, फुलिया, दव, हटार, म्याजलार और खुहडी आदि क्षेत्रों में गोडावण की संख्या लगभग 1250 थी लेकिन 2011 में यह घट कर मात्र 80 रह गई थी.
जैसलमेर के राष्ट्रीय मरूउद्यान के तौर पर चिह्नित किये गये गांवों में वर्षो बाद दस गोडावण नजर आये हैं . पिछले दिनों ही रामदेवरा के पास भी एक मादा गोडावण नजर आया है .
वन विभाग के अनुसार केन्द्र और राज्य ने ग्रेट इंडियन बस्र्टड कहलाने वाले गोडावन की घटती संख्या को देखते हुए गत वर्ष ही इसके संरक्षण के लिए 12 करोड रूपए की एक परियोजना को मंजूरी दी थी. जैसलमेर और बाडमेर जिले के तीन हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले राष्ट्रीय मरू उद्यान गोडावण, चिंकारा विचरण करते है.
जैसलमेर जिले के पोकरण उपखण्ड के रामदेवरा क्षेत्र में 10 नर और 13 मादा गोडावण तथा बांधेवा क्षेत्र में दो नर, चार मादा गोडावण देखे गये हैं.
उन्होंने बताया कि नौ साल बाद पहली बार इस इलाके में गोडावण की संख्या में इजाफा हुआ है. यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है क्योकि इसी इलाके के पास सेना की फील्ड फायरिंग रेंज है. प्रतिबंधित क्षेत्र होने से वहां गणना नहीं की जा सकी है.
वन विभाग के अनुसार 1980 के दशक में थार मरूस्थल, जैसलमेर जिले के सम, सुदासरी, फुलिया, दव, हटार, म्याजलार और खुहडी आदि क्षेत्रों में गोडावण की संख्या लगभग 1250 थी लेकिन 2011 में यह घट कर मात्र 80 रह गई थी.
जैसलमेर के राष्ट्रीय मरूउद्यान के तौर पर चिह्नित किये गये गांवों में वर्षो बाद दस गोडावण नजर आये हैं . पिछले दिनों ही रामदेवरा के पास भी एक मादा गोडावण नजर आया है .
वन विभाग के अनुसार केन्द्र और राज्य ने ग्रेट इंडियन बस्र्टड कहलाने वाले गोडावन की घटती संख्या को देखते हुए गत वर्ष ही इसके संरक्षण के लिए 12 करोड रूपए की एक परियोजना को मंजूरी दी थी. जैसलमेर और बाडमेर जिले के तीन हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले राष्ट्रीय मरू उद्यान गोडावण, चिंकारा विचरण करते है.
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