जैसलमेर धड्ड्ले से हो रहे बाल विवाह। कहाँ हे प्रशासन
जैसलमेर राज्य सरकार द्वारा बाल विवाह रोकने के लिए किये जा रहे भरसक प्रयास व पूरी मषीनरी को इस कुरीति को रोकने के लिए झौंकी जाती हैं, मगर आज भी बड़े पैमाने पर बाल विवाह होना जारी हैं, लोग बगैर डर-भव के बाल विवाह कर रहे हैं तथा बाल विवाह रोकने के लिए प्रषासन के दावे का मखौल उड़ा रहे हैं, इसी कड़ी में इन दिनो रामदेवरा में राज्य के विभिन्न जिलो से नवविवाहित बाल विवाह जोड़ो के बाबा रामदेव की समाधि के लिए दर्षनों के लिए भरमार सी लगी हैं। मजे की बात हैं राज्य सरकार द्वारा अक्षय तृतीया रोकने के लिए एक मुहिम चलाई जाती हैं, अब इसे एलर्ट होकर बच्चों के परिजन अन्य तिथियों पर नन्हें मुन्ने बच्चों की शादियों रचा रहे हैं।
एक तरफ सरकार की ओर से शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में रूढीवादी परपम्परा बाल विवाह को रोकने को लेकर लाख जतन किए जा रहे है। दूसरी तरफ जागरूकता व शिक्षा के अभाव में आज भी खेलने कूदने की उम्र में बच्चे परिणय सूत्र में बंधते जा रहे है। टोंक जिले से एक बाल दम्पति रामदेवरा पहुंचे तथा बाबा की समाधी के दर्षन किए। जानकारी अनुसार रूढिवादी परम्परा के चलते आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह जैसी कुरीति चली आ रही है। जिसके अंतर्गत छोटे बच्चों के विवाह कर दिए जाते है। हालंकि सरकार की ओर से बाल विवाह की रोकथाम को लेकर अधिनियम बनाया गया तथा जनजागरण को लेकर भी बैठकें व गोष्ठियां आयोजित कर लोगों को बाल विवाह नहीं करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है एवं प्रचार प्रसार भी धनराषि खर्च की जा रही है, लेकिन आज भी जागरूकता की कमी के चलते चोरी छिपे बाल विवाह हो रहे है। टोंक जिले के देवली गांव से नवविवाहित बाल दम्पति परिणय सूत्र में बंधने के बाद अपने परिवारजनों के साथ रामदेवरा पहुंचा, तो कौतूहलवष उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दम्पति के परिवारजनों ने बताया कि उनके परिवार में आज भी यह पौराणिक परम्परा जारी है। जिसके अंतर्गत बड़े भाई की शादी के दौरान छोटे भाई की भी शादी कर दी जाती है। देवली से आए बाल दम्पति ने बाबा की समाधी के दर्षन किए तथा पूजा-अर्चना कर अपने सुखमय दाम्पत्य जीवन में अमन चैन व खुषहाली के लिए प्रार्थना की।
एक तरफ सरकार की ओर से शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में रूढीवादी परपम्परा बाल विवाह को रोकने को लेकर लाख जतन किए जा रहे है। दूसरी तरफ जागरूकता व शिक्षा के अभाव में आज भी खेलने कूदने की उम्र में बच्चे परिणय सूत्र में बंधते जा रहे है। टोंक जिले से एक बाल दम्पति रामदेवरा पहुंचे तथा बाबा की समाधी के दर्षन किए। जानकारी अनुसार रूढिवादी परम्परा के चलते आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह जैसी कुरीति चली आ रही है। जिसके अंतर्गत छोटे बच्चों के विवाह कर दिए जाते है। हालंकि सरकार की ओर से बाल विवाह की रोकथाम को लेकर अधिनियम बनाया गया तथा जनजागरण को लेकर भी बैठकें व गोष्ठियां आयोजित कर लोगों को बाल विवाह नहीं करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है एवं प्रचार प्रसार भी धनराषि खर्च की जा रही है, लेकिन आज भी जागरूकता की कमी के चलते चोरी छिपे बाल विवाह हो रहे है। टोंक जिले के देवली गांव से नवविवाहित बाल दम्पति परिणय सूत्र में बंधने के बाद अपने परिवारजनों के साथ रामदेवरा पहुंचा, तो कौतूहलवष उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दम्पति के परिवारजनों ने बताया कि उनके परिवार में आज भी यह पौराणिक परम्परा जारी है। जिसके अंतर्गत बड़े भाई की शादी के दौरान छोटे भाई की भी शादी कर दी जाती है। देवली से आए बाल दम्पति ने बाबा की समाधी के दर्षन किए तथा पूजा-अर्चना कर अपने सुखमय दाम्पत्य जीवन में अमन चैन व खुषहाली के लिए प्रार्थना की।
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