जयपुर की पहली महिला ऑटो चालक हिम्मतवाली हेमलता
जयपुर। हिम्मतवाली हेमलता...। जयपुर की पहली महिला ऑटो चालक हेमलता के लिए के लिए यह कहना गलत नहीं होगा। पहले पति का साथ छूटा और बाद में ससुराल वाले ताने मारने लगे ।
इन सबके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और बच्चे की परवरिश के लिए ऑटो चलाने जैसा जोखिम भरा काम करने से भी पीछे नहीं हटी। एक संस्था के सहयोग से उसने वाहन चलाना सीखा और फिर राजधानी में ऑटो चलाने लगी।
आज हेमलता की दिनचर्या ऑटो से अपने बच्चे को स्कूल पहुंचाने के साथ शुरू होती है और देर शाम तक वह यात्रियों को अपने मुकाम तक पहुंचाने में लगी रहती है। दिनभर भागदौड़ से अपनी दो जून की रोटी जुगाड़ कर रही हेमलता अपने बच्चे की परवरिश की खातिर अपने सारे दुख भूला चुकी है।
अचानक फूट पड़ा दर्द
संवाददाता से बातचीत करते वक्त उसका दर्द अचानक ही फूट पड़ा। वह कहती है, दुनिया बदल रही है लेकिन महिलाओं को लेकर आज भी वही पुरानी सोच है। खुद तो वह ( पति ) तीन हजार रूपए कमाता और मंैंने खुद नौकरी करने को कहा तो आरोप लगाने लगा।
कभी मैं भूखी रही तो कभी बच्चा। जब कोई चारा नहीं बचा तो अलग हो गए। अब जिंदगी बेहतर लगती है। खुद कमाती हूं। बच्चे को पाल रही हूं और अच्छे स्कूल में पढ़ा रही हूं।
पहले शौक में बाइक चलाती थी और अब जिंदगी के लिए ऑटो। इसके लिए पहले कार चालक की नौकरी की। फिर माता-पिता के सहयोग से 30 हजार रूपए देकर लोन पर ऑटो खरीदा।
तोड़ा ऑटो और करवाया चालान
ऑटो में बैठने वाली सवारियां तो उत्साहवर्घन करती हैं लेकिन साथ के ऑटो चालक पता नहीं क्यों द्वेष्ा रखते हैं। अभी छह माह पुराने ऑटो को ही कई बार क्षति पहुंचा चुके हैं। ऑटो चलाना शुरू किया था तो पता नहीं था कि ऑटो कहां खड़ा करें ।
स्टैंड पर ले गई तो ऑटो चालकों ने पहले भगा दिया और बाद में पुलिस को बुलाकर चालान कटा दिया। हालांकि यातायात पुलिस बहुत सहयोग करती है। -
इन सबके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और बच्चे की परवरिश के लिए ऑटो चलाने जैसा जोखिम भरा काम करने से भी पीछे नहीं हटी। एक संस्था के सहयोग से उसने वाहन चलाना सीखा और फिर राजधानी में ऑटो चलाने लगी।
आज हेमलता की दिनचर्या ऑटो से अपने बच्चे को स्कूल पहुंचाने के साथ शुरू होती है और देर शाम तक वह यात्रियों को अपने मुकाम तक पहुंचाने में लगी रहती है। दिनभर भागदौड़ से अपनी दो जून की रोटी जुगाड़ कर रही हेमलता अपने बच्चे की परवरिश की खातिर अपने सारे दुख भूला चुकी है।
अचानक फूट पड़ा दर्द
संवाददाता से बातचीत करते वक्त उसका दर्द अचानक ही फूट पड़ा। वह कहती है, दुनिया बदल रही है लेकिन महिलाओं को लेकर आज भी वही पुरानी सोच है। खुद तो वह ( पति ) तीन हजार रूपए कमाता और मंैंने खुद नौकरी करने को कहा तो आरोप लगाने लगा।
कभी मैं भूखी रही तो कभी बच्चा। जब कोई चारा नहीं बचा तो अलग हो गए। अब जिंदगी बेहतर लगती है। खुद कमाती हूं। बच्चे को पाल रही हूं और अच्छे स्कूल में पढ़ा रही हूं।
पहले शौक में बाइक चलाती थी और अब जिंदगी के लिए ऑटो। इसके लिए पहले कार चालक की नौकरी की। फिर माता-पिता के सहयोग से 30 हजार रूपए देकर लोन पर ऑटो खरीदा।
तोड़ा ऑटो और करवाया चालान
ऑटो में बैठने वाली सवारियां तो उत्साहवर्घन करती हैं लेकिन साथ के ऑटो चालक पता नहीं क्यों द्वेष्ा रखते हैं। अभी छह माह पुराने ऑटो को ही कई बार क्षति पहुंचा चुके हैं। ऑटो चलाना शुरू किया था तो पता नहीं था कि ऑटो कहां खड़ा करें ।
स्टैंड पर ले गई तो ऑटो चालकों ने पहले भगा दिया और बाद में पुलिस को बुलाकर चालान कटा दिया। हालांकि यातायात पुलिस बहुत सहयोग करती है। -
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