जोधपुर। पढ़ाई 150 दिन, उम्मीद अच्छे परिणाम की
जोधपुर। शिक्षा का यह पूरा सत्र एक्सपेरिमेंट में ही निकल गया। ऎसे में 365 दिनों में से मात्र इस सत्र मे 146 दिन ही पढ़ाई होगी। इसके चलते पाठ्यक्रम पूरा करवाना शिक्षकों के लिए गलफांस बना हुआ है।
पढ़ाई से अधिक अवकाश के चलते एसएसए के निरीक्षण में यह सामने आया कि प्राथमिक व उप्रावि के विद्यार्थियों को ढंग से हिन्दी पढ़ना नहीं आता।
साल में तीन तो चुनाव ही आ गए
प्रदेश में इस बार एकीकरण, समानीकरण, समायोजन, तबादलों के लिए स्कूलों में पढ़ाई काफी हद तक प्रभावित हो रही है। इस बीच तीन चुनाव भी हुए हैं। एक तो पहले से ही सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणाम को लेकर आए दिन बयानबाजी होती रहती है। ऊपर से शिक्षा विभाग में हो रहे निरन्तर नित नए प्रयोगों से पूरा सत्र प्रभावित हो रहा है।
शिक्षकों को अध्यापन के अलावा अन्य कई सारे कार्यो में लगाया जा रहा है। पहले विधानसभा चुनाव, फिर लोकसभा चुनाव और आने वाले दिनों में पंचायत चुनाव में भी शिक्षकों की भागीदारी होगी। ऎसे में फिर से पढ़ाई पटरी से उतरेगी। पढ़ाई के दिनों की गिनती की जाए तो स्कूलों में साल के 365 में से 146 दिन ही पढ़ाई हो पाती है।
यह है छुटि्टयों का आलम
शिविरा पंचांग से पता चलता है कि विद्यालयों में पढ़ाई के अलावा श्ौक्षिक एवं सह श्ौक्षिक कार्य भी होते हैं। इसके अलावा रविवार, सार्वजनिक अवकाश, ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश होते हैं। शिक्षकों को मिलने वाले 15 आकस्मिक अवकाश भी कोई नहीं छोड़ता।
यदि गत वष्ाü के शिक्षासत्र की बात करें तो शिविरा पंचांगानुसार 242 कार्य दिवस, 52 रविवार और 71 अवकाश थे। इस लिहाज से देखा जाए तो औसतन 242 से 246 दिन विद्यालय खुलते हैं। इन सारे दिनों में भी पढ़ाई नहीं होती है।
फैक्ट फाइल
12 दिन अर्द्धवार्षिक
2 दिन वार्षिक परीक्षा
इन दोनों परीक्षाओं के लिए 3 दिन तैयारी अवकाश
10 दिन मध्यावधि अवकाश
3-3 दिन के 3 टेस्ट के 9 दिन
7 दिन शीतकालीन अवकाश होता है।
2 दिन कलक्टर और 2 दिन संस्था प्रधान पावर की छुट्टी
2 दिन जिला और 2 दिन प्रांतीय शैक्षिक सम्मेलन
कुल 61 दिन पढ़ाई के कम हो गए।
शेष 161 दिन में से शिक्षक 15 आकस्मिक अवकाश भी लेते हैं
पढ़ाने के लिए बचते हैं केवल 146 दिन
पाठ्यक्रम पूरा करवाएंगे
यह सही है कि अवकाश की अधिकता होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है लेकिन शिक्षकों को अन्य कई काम भी करने होते हैं। फिर भी नई भर्तियां होने से इसमें सुधार आएगा। पाठयक्रम पूरा करवाया जाएगा।
ओमसिंह राजपुरोहित, डीईओ, प्रारम्भिक शिक्षा -
जोधपुर। शिक्षा का यह पूरा सत्र एक्सपेरिमेंट में ही निकल गया। ऎसे में 365 दिनों में से मात्र इस सत्र मे 146 दिन ही पढ़ाई होगी। इसके चलते पाठ्यक्रम पूरा करवाना शिक्षकों के लिए गलफांस बना हुआ है।
पढ़ाई से अधिक अवकाश के चलते एसएसए के निरीक्षण में यह सामने आया कि प्राथमिक व उप्रावि के विद्यार्थियों को ढंग से हिन्दी पढ़ना नहीं आता।
साल में तीन तो चुनाव ही आ गए
प्रदेश में इस बार एकीकरण, समानीकरण, समायोजन, तबादलों के लिए स्कूलों में पढ़ाई काफी हद तक प्रभावित हो रही है। इस बीच तीन चुनाव भी हुए हैं। एक तो पहले से ही सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणाम को लेकर आए दिन बयानबाजी होती रहती है। ऊपर से शिक्षा विभाग में हो रहे निरन्तर नित नए प्रयोगों से पूरा सत्र प्रभावित हो रहा है।
शिक्षकों को अध्यापन के अलावा अन्य कई सारे कार्यो में लगाया जा रहा है। पहले विधानसभा चुनाव, फिर लोकसभा चुनाव और आने वाले दिनों में पंचायत चुनाव में भी शिक्षकों की भागीदारी होगी। ऎसे में फिर से पढ़ाई पटरी से उतरेगी। पढ़ाई के दिनों की गिनती की जाए तो स्कूलों में साल के 365 में से 146 दिन ही पढ़ाई हो पाती है।
यह है छुटि्टयों का आलम
शिविरा पंचांग से पता चलता है कि विद्यालयों में पढ़ाई के अलावा श्ौक्षिक एवं सह श्ौक्षिक कार्य भी होते हैं। इसके अलावा रविवार, सार्वजनिक अवकाश, ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश होते हैं। शिक्षकों को मिलने वाले 15 आकस्मिक अवकाश भी कोई नहीं छोड़ता।
यदि गत वष्ाü के शिक्षासत्र की बात करें तो शिविरा पंचांगानुसार 242 कार्य दिवस, 52 रविवार और 71 अवकाश थे। इस लिहाज से देखा जाए तो औसतन 242 से 246 दिन विद्यालय खुलते हैं। इन सारे दिनों में भी पढ़ाई नहीं होती है।
फैक्ट फाइल
12 दिन अर्द्धवार्षिक
2 दिन वार्षिक परीक्षा
इन दोनों परीक्षाओं के लिए 3 दिन तैयारी अवकाश
10 दिन मध्यावधि अवकाश
3-3 दिन के 3 टेस्ट के 9 दिन
7 दिन शीतकालीन अवकाश होता है।
2 दिन कलक्टर और 2 दिन संस्था प्रधान पावर की छुट्टी
2 दिन जिला और 2 दिन प्रांतीय शैक्षिक सम्मेलन
कुल 61 दिन पढ़ाई के कम हो गए।
शेष 161 दिन में से शिक्षक 15 आकस्मिक अवकाश भी लेते हैं
पढ़ाने के लिए बचते हैं केवल 146 दिन
पाठ्यक्रम पूरा करवाएंगे
यह सही है कि अवकाश की अधिकता होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है लेकिन शिक्षकों को अन्य कई काम भी करने होते हैं। फिर भी नई भर्तियां होने से इसमें सुधार आएगा। पाठयक्रम पूरा करवाया जाएगा।
ओमसिंह राजपुरोहित, डीईओ, प्रारम्भिक शिक्षा -
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