रामपाल पर 30 करोड़ खर्च, खुलेगा बेनामी संपत्तियों का चिट्ठा
चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हिसार जिले के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम के कथित संत रामपाल पर दर्ज अदालत की अवमानना के मामले में अगली सुनवाई 23 दिसंबर तय की है।
रामपाल को शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायमूर्ति एम जयापाल और दर्शन सिंह की खंडपीठ के समक्ष पेश किया गया, जहां अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को रामपाल और उसकी बेनामी संपत्तियों का ब्यौरा तथा उसके खिलाफ राज्य में या अन्यत्र दर्ज मामलों की फे हरिस्त अगली सुनवाई पर पेश करने के निर्देश दिए।
30 करोड़ खर्च कर हुई गिरफ्तारी
हरियाणा सरकार की ओर से महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने रामपाल के आपरेशन अरेस्ट पर हुए लगभग 30 करोड़ रूपए के खर्च का भी ब्यौरा भी अदालत में पेश किया। अदालत ने गत 20 नवंबर को रामपाल की पेशी के दौरान राज्य सरकार को पूरी कार्रवाई पर हुए खर्च का ब्यौरा पेश करने के निर्देश दिए थे।
महाजन द्वारा दिए खर्च के ब्यौरे में हरियाणा सरकार के लगभग साढ़े 15 करोड़ रूपए, पंजाब सरकार के साढ़े चार करोड़ रूपए, चंडीगढ़ प्रशासन के साढ़े तीन क रोड़ तथा केंद्र सरकार की केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की तैनाती पर साढ़े तीन करोड़ रूपए का खर्च भी शामिल है।
अदालत ने राज्य सरकार से आपरेशन अरेस्ट के दौरान घायल लोगों और पुलिसकर्मियों की रिपोर्ट भी अगली सुनवाई के दिन तलब की है। अदालत ने सरकार से गिरफ्तार किए गए रामपाल के समर्थकों में किसी सरकारी कर्मचारी के शामिल होने का भी ब्यौरा मांगा है।
"आश्रम में सारे वैध हथियार" अदालत में बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि रामपाल और समर्थकों को जानबूझ और जबरन फंसाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनके मुवकिल के आश््रम से कोई अवैध हथियार बरामद नहीं हुआ। जो भी हथियार बरामद हुए हैं वे सभी वैध हैं तथा स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी है।
इस मामले में अदालत के सलाहकार अनुपम गुप्ता ने दलील दी कि अदालत की अवमानना के मामले में बार बार वारंट जारी होने के बावजूद रामपाल जानबूझ कर पेश नहीं हुआ।
उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस बात की जांच कराई जाए कि आश््रम में इतने हथियार तथा इतनी बड़ी संख्या में लोग कैसे जमा हो गए थे। क्या रामपाल इन लोगाें को अदालत में पेश नहीं होने के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहा था।
रामपाल को हाई कोर्ट द्वारा गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की संयुक्त कार्रवाई में गत 19 नवंबर को सतलोक आश््रम से गिरफ्तार कर गत 20 नवंबर को अदालत में पेश किया गया था। जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेजने तथा उसे पुन: 28 नवंबर को अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान पेश करने के आदेश जारी किए गए थे।
इससे पहले कोर्ट ने 20 नवंबर को ही अदालत की अवमामना के मामले में बार बार वारंट जारी होने के बावजूद रामपाल के उनके समक्ष पेश नहीं होने पर रोहतक की अदालत में उसके खिलाफ चल रहे हत्या के मामले में उसे मिली जमानत को भी रद्द कर दिया।
यह मामला करौंथा में 2006 में रामपाल समर्थकों और आर्यसमाजियों के बीच हुई हिंसक झड़पों में एक व्यक्ति की मौत से संबंधित था, जिसमें रामपाल को 21 अप्रैल 2008 को जमानत मिल गई थी।
रामपाल को शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायमूर्ति एम जयापाल और दर्शन सिंह की खंडपीठ के समक्ष पेश किया गया, जहां अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को रामपाल और उसकी बेनामी संपत्तियों का ब्यौरा तथा उसके खिलाफ राज्य में या अन्यत्र दर्ज मामलों की फे हरिस्त अगली सुनवाई पर पेश करने के निर्देश दिए।
30 करोड़ खर्च कर हुई गिरफ्तारी
हरियाणा सरकार की ओर से महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने रामपाल के आपरेशन अरेस्ट पर हुए लगभग 30 करोड़ रूपए के खर्च का भी ब्यौरा भी अदालत में पेश किया। अदालत ने गत 20 नवंबर को रामपाल की पेशी के दौरान राज्य सरकार को पूरी कार्रवाई पर हुए खर्च का ब्यौरा पेश करने के निर्देश दिए थे।
महाजन द्वारा दिए खर्च के ब्यौरे में हरियाणा सरकार के लगभग साढ़े 15 करोड़ रूपए, पंजाब सरकार के साढ़े चार करोड़ रूपए, चंडीगढ़ प्रशासन के साढ़े तीन क रोड़ तथा केंद्र सरकार की केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की तैनाती पर साढ़े तीन करोड़ रूपए का खर्च भी शामिल है।
अदालत ने राज्य सरकार से आपरेशन अरेस्ट के दौरान घायल लोगों और पुलिसकर्मियों की रिपोर्ट भी अगली सुनवाई के दिन तलब की है। अदालत ने सरकार से गिरफ्तार किए गए रामपाल के समर्थकों में किसी सरकारी कर्मचारी के शामिल होने का भी ब्यौरा मांगा है।
"आश्रम में सारे वैध हथियार" अदालत में बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि रामपाल और समर्थकों को जानबूझ और जबरन फंसाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनके मुवकिल के आश््रम से कोई अवैध हथियार बरामद नहीं हुआ। जो भी हथियार बरामद हुए हैं वे सभी वैध हैं तथा स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी है।
इस मामले में अदालत के सलाहकार अनुपम गुप्ता ने दलील दी कि अदालत की अवमानना के मामले में बार बार वारंट जारी होने के बावजूद रामपाल जानबूझ कर पेश नहीं हुआ।
उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस बात की जांच कराई जाए कि आश््रम में इतने हथियार तथा इतनी बड़ी संख्या में लोग कैसे जमा हो गए थे। क्या रामपाल इन लोगाें को अदालत में पेश नहीं होने के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहा था।
रामपाल को हाई कोर्ट द्वारा गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की संयुक्त कार्रवाई में गत 19 नवंबर को सतलोक आश््रम से गिरफ्तार कर गत 20 नवंबर को अदालत में पेश किया गया था। जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेजने तथा उसे पुन: 28 नवंबर को अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान पेश करने के आदेश जारी किए गए थे।
इससे पहले कोर्ट ने 20 नवंबर को ही अदालत की अवमामना के मामले में बार बार वारंट जारी होने के बावजूद रामपाल के उनके समक्ष पेश नहीं होने पर रोहतक की अदालत में उसके खिलाफ चल रहे हत्या के मामले में उसे मिली जमानत को भी रद्द कर दिया।
यह मामला करौंथा में 2006 में रामपाल समर्थकों और आर्यसमाजियों के बीच हुई हिंसक झड़पों में एक व्यक्ति की मौत से संबंधित था, जिसमें रामपाल को 21 अप्रैल 2008 को जमानत मिल गई थी।
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