नई दिल्ली। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए भाजपा को विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर न्योता मिल सकता है। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उपराज्यपाल नजीब जंग की सिफाारिश स्वीकर कर ली है।
दिलचस्प बात यह है कि आप द्वारा दिल्ली विधानसभा भंग करने के दायर मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार को जवाब भी देना है।
दिल्ली में पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा 31 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। हालांकि इसके तीन विधायक अब लोकसभा के सासंद चुने जा चुके हैं और चुनाव आयोग ने खाली हुए इन तीन सीटों के लिए 25 नवंबर को उपचुनाव की घोषणा भी कर दी है।
उपचुनाव भाजपा के लिए दिल्ली में लिटमस टेस्ट का काम कर सकती है। इसलिए कृष्णा नगर, तुगलकाबाद और महरौली सीट पर भाजपा एक बार फिर से कब्जा जमाना चाहेगी।
अभी है राष्ट्रपति शासन
इस साल फरवरी में अरविंद केजरीवाल सरकार के इस्तीफे के बाद से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद से ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि भाजपा कुछ अन्य विधायकों के सहयोग से दिल्ली में सरकार बना सकती है।
इसी बीच उपराज्यपाल ने 5 सितंबर को राष्ट्रपति को दिल्ली की राजनीतिक स्थिति से अवगत कराते हुए पर एक चिट्ठी भेजी थी, जिसमें दिल्ली विधानसभा को भंग करने से पहले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का एक एक मौका दिए जाने की सिफारिश की गई थी।
अभी हैं भाजपा के 28 विधायक
70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में भाजपा के पास अब 28 विधायक हैं जबकि आम आदमी पार्टी के पास 27 विधायक हैं। अगर भाजपा उपचुनाव में सभी तीन सीटें जीत भी जाती है तो उसके कुल 31 विधायक ही होंगे।
अकाली दल के एक विधायक को जोड़ भी लिया जाए तो भाजपा गठबंधन के पास 32 विधायक ही होंगे, जो सदन में बहुमत से चार कम ही होंगे। अब यह देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि कैसे भाजपा दिल्ली में 35 के जादुई आंकड़े को पार करती है और सरकार बनाती है। -
दिलचस्प बात यह है कि आप द्वारा दिल्ली विधानसभा भंग करने के दायर मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार को जवाब भी देना है।
दिल्ली में पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा 31 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। हालांकि इसके तीन विधायक अब लोकसभा के सासंद चुने जा चुके हैं और चुनाव आयोग ने खाली हुए इन तीन सीटों के लिए 25 नवंबर को उपचुनाव की घोषणा भी कर दी है।
उपचुनाव भाजपा के लिए दिल्ली में लिटमस टेस्ट का काम कर सकती है। इसलिए कृष्णा नगर, तुगलकाबाद और महरौली सीट पर भाजपा एक बार फिर से कब्जा जमाना चाहेगी।
अभी है राष्ट्रपति शासन
इस साल फरवरी में अरविंद केजरीवाल सरकार के इस्तीफे के बाद से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद से ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि भाजपा कुछ अन्य विधायकों के सहयोग से दिल्ली में सरकार बना सकती है।
इसी बीच उपराज्यपाल ने 5 सितंबर को राष्ट्रपति को दिल्ली की राजनीतिक स्थिति से अवगत कराते हुए पर एक चिट्ठी भेजी थी, जिसमें दिल्ली विधानसभा को भंग करने से पहले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का एक एक मौका दिए जाने की सिफारिश की गई थी।
अभी हैं भाजपा के 28 विधायक
70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में भाजपा के पास अब 28 विधायक हैं जबकि आम आदमी पार्टी के पास 27 विधायक हैं। अगर भाजपा उपचुनाव में सभी तीन सीटें जीत भी जाती है तो उसके कुल 31 विधायक ही होंगे।
अकाली दल के एक विधायक को जोड़ भी लिया जाए तो भाजपा गठबंधन के पास 32 विधायक ही होंगे, जो सदन में बहुमत से चार कम ही होंगे। अब यह देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि कैसे भाजपा दिल्ली में 35 के जादुई आंकड़े को पार करती है और सरकार बनाती है। -
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