न्यूयॉर्क। अमरीकी सेना में सेवाएं दे चुके नोआह गैलोवे के लिए यह एक अद्भुत पल था क्योंकि विश्वविख्यात मैंस मैग्जीन के कवर पेज पर उन्हें एक प्रेरक एथलीट के रूप में छापा गया।
इस मैग्जीन के इतिहास में यह पहला मौका है जब उसके किसी पाठक को कवर पेज पर जगह दी गई है।
निराश व्यक्ति से बना आशावान
इराक में वर्ष 2005 में हुए एक आईईडी धमाके में कोहनी से ऊपर का बायां और घुटने से नीचे का बायां पैर खोने वाले 32 वर्षीय नोआह किशोरावस्था से ही फि टनेस को लेकर सजग थे।
लेकिन इस हादसे ने उन्हें निराशा में डुबो दिया। अस्पताल से छुट्टी के बाद वे दिनभर घर में ही पड़े रहते। शराब भी पीने लगे थे। नतीजा उनका वजन बढ़ गया। वर्ष 2010 में एक दिन आईने में खुद को देखकर उन्हें इतनी कोफ्त हुई कि फिर से बॉडी को शेप में लाने की ठान ली।
तेरह सौ को पछाड़ा
मैग्जीन अपने नवंबर के अंक के लिए ऎसे पुरूष की तलाश में थी जो शारीरिक रूप से फिट हो, आत्मविश्वास से भरा, स्टाइलिश हो और समाज को प्रेरित करता हो।
इसमें नो आह का दो अन्य दावेदारों से करीबी मुकाबला था जिनमें अमरीकी मैरिन कॉप्र्स का हैलीकॉप्टर पायलट 22 वर्षीय केवेन लेक भी था। केविन ने अत्यंत गरीबी में पलकर सेना में जगह बनाई थी। कुल मिलाकर तेरह सौ नामों की प्रविष्टियां आई थीं जिनके बारे में चार लाख पाठकों से भी रायशुमारी की गई।
बाद में मैग्जीन के निर्णायक मंडल ने नोआह के नाम का चयन किया।
संकल्प बना ताकत
तीन बच्चों के पिता नोआह मल्टीपल मैराथनों में भी दौड़ चुके हैं। अपनी निशक्तता के कारण उन्हें दिन में जिम जाने में शर्म आती थी इसलिए वे रात को दो बजे एक्सरसाइज करने जाते थे।
शुरू में हाथ-पैर की बाध्यता के कारण उन्हें दिक्कतें आईं लेकिन कड़े संकल्प से उन्होंने मशीनों पर ए क्सरसाइज करना सीख ही लिया।
उन्होंने बच्चों में मोटापे की समस्या दूर करने के लिए नो एक्सक्यूज नाम से चैरिटी फंड भी शुरू किया है। -
इस मैग्जीन के इतिहास में यह पहला मौका है जब उसके किसी पाठक को कवर पेज पर जगह दी गई है।
निराश व्यक्ति से बना आशावान
इराक में वर्ष 2005 में हुए एक आईईडी धमाके में कोहनी से ऊपर का बायां और घुटने से नीचे का बायां पैर खोने वाले 32 वर्षीय नोआह किशोरावस्था से ही फि टनेस को लेकर सजग थे।
लेकिन इस हादसे ने उन्हें निराशा में डुबो दिया। अस्पताल से छुट्टी के बाद वे दिनभर घर में ही पड़े रहते। शराब भी पीने लगे थे। नतीजा उनका वजन बढ़ गया। वर्ष 2010 में एक दिन आईने में खुद को देखकर उन्हें इतनी कोफ्त हुई कि फिर से बॉडी को शेप में लाने की ठान ली।
तेरह सौ को पछाड़ा
मैग्जीन अपने नवंबर के अंक के लिए ऎसे पुरूष की तलाश में थी जो शारीरिक रूप से फिट हो, आत्मविश्वास से भरा, स्टाइलिश हो और समाज को प्रेरित करता हो।
इसमें नो आह का दो अन्य दावेदारों से करीबी मुकाबला था जिनमें अमरीकी मैरिन कॉप्र्स का हैलीकॉप्टर पायलट 22 वर्षीय केवेन लेक भी था। केविन ने अत्यंत गरीबी में पलकर सेना में जगह बनाई थी। कुल मिलाकर तेरह सौ नामों की प्रविष्टियां आई थीं जिनके बारे में चार लाख पाठकों से भी रायशुमारी की गई।
बाद में मैग्जीन के निर्णायक मंडल ने नोआह के नाम का चयन किया।
संकल्प बना ताकत
तीन बच्चों के पिता नोआह मल्टीपल मैराथनों में भी दौड़ चुके हैं। अपनी निशक्तता के कारण उन्हें दिन में जिम जाने में शर्म आती थी इसलिए वे रात को दो बजे एक्सरसाइज करने जाते थे।
शुरू में हाथ-पैर की बाध्यता के कारण उन्हें दिक्कतें आईं लेकिन कड़े संकल्प से उन्होंने मशीनों पर ए क्सरसाइज करना सीख ही लिया।
उन्होंने बच्चों में मोटापे की समस्या दूर करने के लिए नो एक्सक्यूज नाम से चैरिटी फंड भी शुरू किया है। -
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