नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने समाज में महिलाओं से सशक्त होने का आह्वान करते हुए सोमवार को कहा कि श्रीकृष्ण उन्हें बचाने नहींआएंगे बल्कि उन्हें स्वयं अपने खिलाफ हो रहे अन्याय से लड़ने के लिए हथियार उठाना होगा।
ईरानी ने यहां वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ. सूर्यकांतबाली की पुस्तक महाभारत का धर्म संकट का विमोचन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपनी रक्षा के लिए स्वयं शस्त्र उठाने हैं और खुद अपना बचाव करना है क्योंकि इस युग में उन्हें बचाने के लिए भगवान कृष्ण आने वाले नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि समाज को उन्नत बनाने के लिए बच्चों को संस्कारी बनाना आवश्यक है। सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए सुविधा दे सकती है लेकिन उन्हें संस्कारी परिवार और समाज ही बना सकता है। उनका कहना था कि धर्म का पालन जरूरी है और यदि धर्म पर संकट आता है तो भगवान राम और भगवान कृष्ण का नाम लेकर धर्म पर आए संकट को दूर किया जा सकता है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने ईरानी को जवाब देते हुए कहा कि बच्चों को संस्कारी बनाने का काम स्कूलों का भी है। उन्होंने कहा कि स्कूल में मिले संस्कारों के बल पर ही समाज को संस्कारी बनाया जा सकता है। उनका कहना था कि संस्कृत भाषा में समाज को सुसंस्कृत बनाने की क्षमता है लेकिन अंग्रेजों ने संस्कृत से देश को दूर करने का काम किया है और आज हमारा युवा वर्ग संस्कृत वांडमय से बहुत दूर चला गया है।
उन्होंने कहा कि आदिकाल में महिलाएं बहुत मजबूत थीं और यही वजह है कि ऋग्वेद की ऋचाओं को लिखने में 29 महिला ऋषियों ने अपना योगदान किया था। उन्होंने कहा कि महाभारत के धर्म संकट में श्रीकृष्ण मार्ग दर्शक का काम करते हैं और समाज को प्रेरणा देते हैं। डॉ. बाली ने कहा कि सबसे पहले हमें धर्म को समझना होगा।
उनका कहना था कि धर्म का आशय रिलीजन अथवा मजहब नहीं है। इस सोच से धर्म को अलग कहना है क्योंकि धर्म का अर्थ सिर्फ धर्म ही होता है। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में प्रौद्योगिकी का विकास आवश्यक है और यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहनी चाहिए लेकिन इसमें इस बात का ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि समृद्धि के लिए मर्यादाएं टूटने नहीं पाए। उनका कहना था कि समृद्धि के साथ साथ मर्यादा का बना रहना भी आवश्यक है तभी स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण हो सकता है।
ईरानी ने यहां वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ. सूर्यकांतबाली की पुस्तक महाभारत का धर्म संकट का विमोचन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपनी रक्षा के लिए स्वयं शस्त्र उठाने हैं और खुद अपना बचाव करना है क्योंकि इस युग में उन्हें बचाने के लिए भगवान कृष्ण आने वाले नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि समाज को उन्नत बनाने के लिए बच्चों को संस्कारी बनाना आवश्यक है। सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए सुविधा दे सकती है लेकिन उन्हें संस्कारी परिवार और समाज ही बना सकता है। उनका कहना था कि धर्म का पालन जरूरी है और यदि धर्म पर संकट आता है तो भगवान राम और भगवान कृष्ण का नाम लेकर धर्म पर आए संकट को दूर किया जा सकता है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने ईरानी को जवाब देते हुए कहा कि बच्चों को संस्कारी बनाने का काम स्कूलों का भी है। उन्होंने कहा कि स्कूल में मिले संस्कारों के बल पर ही समाज को संस्कारी बनाया जा सकता है। उनका कहना था कि संस्कृत भाषा में समाज को सुसंस्कृत बनाने की क्षमता है लेकिन अंग्रेजों ने संस्कृत से देश को दूर करने का काम किया है और आज हमारा युवा वर्ग संस्कृत वांडमय से बहुत दूर चला गया है।
उन्होंने कहा कि आदिकाल में महिलाएं बहुत मजबूत थीं और यही वजह है कि ऋग्वेद की ऋचाओं को लिखने में 29 महिला ऋषियों ने अपना योगदान किया था। उन्होंने कहा कि महाभारत के धर्म संकट में श्रीकृष्ण मार्ग दर्शक का काम करते हैं और समाज को प्रेरणा देते हैं। डॉ. बाली ने कहा कि सबसे पहले हमें धर्म को समझना होगा।
उनका कहना था कि धर्म का आशय रिलीजन अथवा मजहब नहीं है। इस सोच से धर्म को अलग कहना है क्योंकि धर्म का अर्थ सिर्फ धर्म ही होता है। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में प्रौद्योगिकी का विकास आवश्यक है और यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहनी चाहिए लेकिन इसमें इस बात का ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि समृद्धि के लिए मर्यादाएं टूटने नहीं पाए। उनका कहना था कि समृद्धि के साथ साथ मर्यादा का बना रहना भी आवश्यक है तभी स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण हो सकता है।
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