नवरात्र के 5वें दिन होती है स्कन्द माता की पूजा
जयपुर। दुर्गा मां के पांचवें स्वरूप को स्कन्द माता कहा गया है। भगवान स्कन्द की माता होने के कारण इन्हें स्कन्द माता के नाम से जाना जाता है। इनकी पूजा अर्चना पांचवें दिन की जाती है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होता है। सिंह पर सवार स्कन्द माता की अर्चना से मन में शांति और पराक्रम में वृद्धि होती है। ये कमल के आसन पर भी विराजमान होती है। इसलिए इनका नाम पद्मासना देवी भी है।स्कन्दमातृ स्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं। बायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है। उसमें भी कमल-पुष्प ली हुई हैं। स्कन्द माता की उपासना से बालरूप स्कन्द भगवान की उपासना स्वयं हो जाती है। मां स्कन्द माता की उपासना से उपासक की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। -
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