बाड़मेर :- बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी थाना क्षेत्र के मेहलू गांव मे इंसानियत की सारी हदे पार करने वाली खबर जिसे आप पढ़कर हैरान रह जायेंगे। मेहलू गांव निवासी विवाहिता को सात जन्मो तक उसका साथ देने वाले उसके पति ने अपने मामा के साथ हम बिस्तर करने पर मजबुर कर दिया। पीडि़ता ने अपने पति व आरोपी के खिलाफ कार्रवाही की मांग को लेकर पुलिस एस पी हेमंत शर्मा को ज्ञापन सौपकर न्याय की गुहार लगाई है। विवाहिता ने अपने पति पर सनसन्नी खेज आरोप लगाते हुए एसपी हेमंत शर्मा को ज्ञापन सौपा। ज्ञापन मे पीडि़ता ने बताया की कुछ दिन पूर्व उसके पति अपने मामा ससूर को घर पर लेकर आये और उसके पति ने अपने मामा किशनाराम के साथ हमबिस्तर होने को कहा इसको लेकर पीडि़ता ने विरोध शुरू किया तो पीडि़ता के पति ने उसको जबरदस्ती झोपे मे ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म करवाया उसको लेकर पीडि़ता ने अपने छोटे छोटे बच्चो के खातिर जुबान नही खोली और जो भी घटना हुई सहन की। लेकिन एक बार फिर उसके पति ने पीडि़ता को अपने मामा किसनाराम के साथ हम बिस्तर होने को कहा तो पीडि़ता ने साफ तौर से इनकार कर दिया। इससे नाराज उसके पति ने पीडि़ता को बेल्ट से मारपीट कर घर से बेदखल कर दिया है पीडि़ता गुड़ामालानी थाने मे मामला दर्ज करवाने गई मगर पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। थक हार कर पीडि़ता ने न्यायालय के जरिए मामला दर्ज करवाया तो न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को तुरन्त मामला दर्ज करने के आदेश दिए। मगर पुलिस ने न्यायालय के आदेशो को दरकिनार करते हुए दस दिन बाद भी मामला दर्ज नही किया है।
पीडि़ता के वकील इस मामले ने गुड़ामालानी पुलिस पर कई सवाल खड़े कर दिए है की आखिर गुड़ामालानी पुलिस न्यायालय के आदेशो को ठेंगा दिखाते हुए इस पीडि़ता की गुहार नही सुन रही है। अब देखने वाली बात ये होगी की क्या वसुन्धरा सरकार के बड़े अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेकर दर दर की ठोकरे खा रही इस पीडि़ता को न्याय दिलाऐंगे। या ये पीडि़ता यूं ही दर दर की ठोकरे खाती रहेगी।
पीडि़ता के वकील इस मामले ने गुड़ामालानी पुलिस पर कई सवाल खड़े कर दिए है की आखिर गुड़ामालानी पुलिस न्यायालय के आदेशो को ठेंगा दिखाते हुए इस पीडि़ता की गुहार नही सुन रही है। अब देखने वाली बात ये होगी की क्या वसुन्धरा सरकार के बड़े अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेकर दर दर की ठोकरे खा रही इस पीडि़ता को न्याय दिलाऐंगे। या ये पीडि़ता यूं ही दर दर की ठोकरे खाती रहेगी।
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