नई दिल्ली। बीजेपी में अटल-अडवाणी युग के समापन का संकेत है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज पार्टी के संसदीय बोर्ड का ऐलान किया, जिसमें ना आडवाणी को जगह मिली और ना बीजेपी की त्रिमूर्ति के तीसरे सदस्य डॉ. मुरली मनोहर जोशी को। पहली बार एक मार्गदर्शक मंडल का गठन किया गया है ताकि त्रिमूर्ति को जगह दी जा सके। लेकिन विपक्ष इसे मूकदर्शक मंडल कहकर चुटकी ले रहा है। इसी के साथ बीजेपी के केंद्रीय चुनाव समिति का भी ऐलान किया गया है।
अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी औरा डॉ.मुरली मनोहर जोशी, दशकों से बीजेपी की पर्याय कही जाने वाली ये त्रिमूर्ति जल्द ही बीजेपी बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए भी महज याद बनकर रह जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लोकसभा चुनाव के मैन ऑफ दि मैच करार दिए गए नए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को जब पार्टी के संसदीय बोर्ड का ऐलान किया तो इसमें तीनों वरिष्ठ नेताओं का नाम नदारद था।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हांलाकि खराब स्वास्थ्य की वजह से सक्रिय नहीं हैं, लेकिन कुछ महीने पहले ही ताल ठोंकर संसदीय चुनाव जीतने वाले लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को भी संसदीय बोर्ड में जगह नहीं मिली। लखनऊ पहुंचे डॉ. जोशी को जब ये खबर मिली तो नाखुशी उनके चेहरे से जाहिर हो रही थी।
बीजेपी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अरुण जेतली, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, अनंत कुमार, थावरचंद गहलौत, शिवराज सिंह चौहान, जे.पी.नड्डा और रामलाल शामिल होंगे।
बहरहाल, पार्टी में पहली बार मार्गदर्शक मंडल का गठन करके अटल, आडवाणी और डॉ. जोशी का नाम समायोजित किया है। इसमें नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह का भी नाम है। साफ है कि पार्टी ने भी मान लिया है कि त्रिमूर्ति का युग समाप्त हो गया है। हालांकि तमाम सवालों के बीच पार्ची ये बताने की कोशिश कर रही है कि मार्गदर्शक मंडल ही सर्वोच्च रहेगा।
बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि सभी कमेटियों का अपना महत्व है। मार्गदर्शक मंडल सबसे बड़ी समिति है जिसके पास अपार अधिकार है और इसका कार्य मार्गदर्शन करना है। इसमें प्रधानमंत्री जी के साथ अटल जी और आडवानी जी हैं, ये सबसे बड़ी कमिटी है।
लेकिन विपक्ष की नजर में ये वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने का ही अभियान है। कोई इसे मूकदर्शक मंडल करार दे रहा है तो किसी की नजर में ये आरएसएस का बोर्ड है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि हमें हमेशा से ये लगता था की आडवाणी जी और जोशी जी को किनारे कर दिया जाएगा। ये मार्गदर्शक मंडल नहीं मूकदर्शक मंडल है।
वहीं लेफ्ट नेता अतुल अंजान ने कहा कि ये संसदीय बोर्ड नहीं, आरएसएस का बोर्ड है। अटल जी अगर स्वस्थ नहीं है लेकिन आडवानी जी तो हैं उन्हें क्यों बाहर किया। जिस किसी ने कभी भी मोदी का विरोध किया उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
बहरहाल, बीजेपी संसदीय बोर्ड के साथ केंद्रीय चुनाव समिति का भी ऐलान किया गया है। इसमें संसदीय बोर्ड के सभी 12 सदस्यों के अलावा शाहनवाज हुसैन और जुएल ओराम के अलावा विजया रहाटकर को पदेन सदस्य बनाया गया है।
संसदीय बोर्ड के सदस्य
अमित शाह, नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, एम. वैंकेया नायडू, नितिन गडकरी, अनंत कुमार, थावरचंद गेहलोत, शिवराज सिंह चौहान, जगत प्रकाश नड्डा और रामलाल।
केंद्रीय चुनाव समिति
अमित शाह, नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, एम. वैंकेया नायडू, नितिन गडकरी, अनंत कुमार, थावरचंद गहलोत, शिवराज सिंह चौहान, जगत प्रकाश नड्डा, रामलाल, जुएल ओराम, शाहनवाज हुसैन और विजया रहाटकर शामिल।
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