भोपाल। मध्य प्रदेश की पुलिस इन दिनों किसी बड़ी सफलता या विफलता के कारण नहीं, बल्कि महकमे के कुछ अफसरों की "आशिक मिजाजी" के कारण सुर्खियों में है। महकमे में कोई किसी महिला को ब्लैकमेल कर उसका दैहिक शोषण कर रहा है तो कोई पत्नी के रहते अपने अधीनस्थ से विवाहेतर रिश्ते बनाए हुए है।
राज्य के कई अफसर इन दिनों अपनी आशिक मिजाजी के चलते पुलिस प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। आशिक मिजाज अफसरों की वजह से पुलिस की किरकिरी भी खूब हो रही है। सबसे ताजा मामला ग्वालियर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक प्रमोद वर्मा का है, जिन पर उनकी पत्नी निधि वर्मा ने अधीनस्थ महिला अफसर से रिश्ते रखने का आरोप लगाया है। निधि ने यह शिकायत पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे से की थी।
वर्मा की पत्नी द्वारा की गई शिकायत में कहा गया था कि उनके पति के एक महिला पुलिस अधिकारी से रिश्ते हैं। यही कारण है कि वह कई माह से अपने पति के साथ नहीं रह रही हैं। दुबे ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की जिम्मेदारी महिला सेल को सौंप दी थी। वहीं सरकार को लगा कि वर्मा पर लगे आरोप पर कार्रवाई नहीं की गई तो संदेश अच्छा नहीं जाएगा, लिहाजा सरकार ने वर्मा को ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक पद से हटा दिया है।
एक अन्य मामला आईपीएस अफसर और अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक पद के अधिकारी अनिल मिश्रा का है। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक आरोपी की पत्नी का लंबे अरसे तक दैहिक शोषण किया है। महिला का आरोप है कि मिश्रा लगातार उसे कई स्थानों पर ले गए और उसके साथ दुष्कर्म किया।
मिश्रा की कारगुजारी सामने आने के बाद सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया, मगर वह अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। इस पीडित महिला के परिजनों ने मिश्रा के साथ हुई बातचीत का जो ऑडियो टेप जारी किया है, उसमें मिश्रा न केवल महिला से अभद्र शब्दावली का इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं उसे जान से मारने की धमकी भी दे रहे हैं।
इससे पहले आईपीएस अफसर मयंक जैन भी अपनी पत्नी से हुए विवादों के कारण चर्चाओं में रहे। मामला थाने तक भी पहुंचा, मगर बाद में दोनों में आपसी समझौता हो गया। नगर निरीक्षक पद के अधिकारी आशीष पवार को भी प्रेम संबंधों के मामले में थाने की जिम्मेदारी छोड़नी पड़ी थी। इस अन्य पुलिस अधिकारी अखिलेश मिश्रा की शिकायत तो जनसुनवाई में उनके आचरण को लेकर की गई थी जिसके चलते अफसरों ने उन्हें थानेदार की कुर्सी से रूखसत कर दिया था।
सामाजिक कार्यकर्ता रोली शिवहरे का कहना है कि ऎसा नहीं है कि महिलाएं पहले शोषण का शिकार नहीं होती थीं, मगर अब उनमें जागृति आई है। यही कारण है कि वे पुलिस अफसरों के खिलाफ भी आवाज उठाने से नहीं हिचक रही हैं। यह बात सही है कि पुलिस से सभी डरते हैं, महिलाएं भी डरती थीं, मगर अब कुछ बदलाव आ रहा है, लिहाजा वे संभावित किसी खतरे से भी डरने को तैयार नहीं हैं।
पुलिस महकमे के और भी ऎसे अफसर हैं, जिनका अपनी प्रेमलीला के चलते पत्नी से विवाद चला है। पुलिस अफसर लगातार अपने अफसरों को आचरण दुरूस्त रखने की सलाह देते हैं, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी है कि समाज में हो रही गड़बड़ी को काबू में रखें, मगर कुछ खाकी वर्दी वाले ऎसे हैं जिनका दिल है कि मानता नहीं।
राज्य के कई अफसर इन दिनों अपनी आशिक मिजाजी के चलते पुलिस प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। आशिक मिजाज अफसरों की वजह से पुलिस की किरकिरी भी खूब हो रही है। सबसे ताजा मामला ग्वालियर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक प्रमोद वर्मा का है, जिन पर उनकी पत्नी निधि वर्मा ने अधीनस्थ महिला अफसर से रिश्ते रखने का आरोप लगाया है। निधि ने यह शिकायत पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे से की थी।
वर्मा की पत्नी द्वारा की गई शिकायत में कहा गया था कि उनके पति के एक महिला पुलिस अधिकारी से रिश्ते हैं। यही कारण है कि वह कई माह से अपने पति के साथ नहीं रह रही हैं। दुबे ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की जिम्मेदारी महिला सेल को सौंप दी थी। वहीं सरकार को लगा कि वर्मा पर लगे आरोप पर कार्रवाई नहीं की गई तो संदेश अच्छा नहीं जाएगा, लिहाजा सरकार ने वर्मा को ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक पद से हटा दिया है।
एक अन्य मामला आईपीएस अफसर और अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक पद के अधिकारी अनिल मिश्रा का है। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक आरोपी की पत्नी का लंबे अरसे तक दैहिक शोषण किया है। महिला का आरोप है कि मिश्रा लगातार उसे कई स्थानों पर ले गए और उसके साथ दुष्कर्म किया।
मिश्रा की कारगुजारी सामने आने के बाद सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया, मगर वह अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। इस पीडित महिला के परिजनों ने मिश्रा के साथ हुई बातचीत का जो ऑडियो टेप जारी किया है, उसमें मिश्रा न केवल महिला से अभद्र शब्दावली का इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं उसे जान से मारने की धमकी भी दे रहे हैं।
इससे पहले आईपीएस अफसर मयंक जैन भी अपनी पत्नी से हुए विवादों के कारण चर्चाओं में रहे। मामला थाने तक भी पहुंचा, मगर बाद में दोनों में आपसी समझौता हो गया। नगर निरीक्षक पद के अधिकारी आशीष पवार को भी प्रेम संबंधों के मामले में थाने की जिम्मेदारी छोड़नी पड़ी थी। इस अन्य पुलिस अधिकारी अखिलेश मिश्रा की शिकायत तो जनसुनवाई में उनके आचरण को लेकर की गई थी जिसके चलते अफसरों ने उन्हें थानेदार की कुर्सी से रूखसत कर दिया था।
सामाजिक कार्यकर्ता रोली शिवहरे का कहना है कि ऎसा नहीं है कि महिलाएं पहले शोषण का शिकार नहीं होती थीं, मगर अब उनमें जागृति आई है। यही कारण है कि वे पुलिस अफसरों के खिलाफ भी आवाज उठाने से नहीं हिचक रही हैं। यह बात सही है कि पुलिस से सभी डरते हैं, महिलाएं भी डरती थीं, मगर अब कुछ बदलाव आ रहा है, लिहाजा वे संभावित किसी खतरे से भी डरने को तैयार नहीं हैं।
पुलिस महकमे के और भी ऎसे अफसर हैं, जिनका अपनी प्रेमलीला के चलते पत्नी से विवाद चला है। पुलिस अफसर लगातार अपने अफसरों को आचरण दुरूस्त रखने की सलाह देते हैं, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी है कि समाज में हो रही गड़बड़ी को काबू में रखें, मगर कुछ खाकी वर्दी वाले ऎसे हैं जिनका दिल है कि मानता नहीं।
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