रायपुर। महिला थाने महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए, लेकिन इन थानों में अब "पत्नी प्रताडित पतियों" की फरियाद सुनाई देने लगी है। महिला थाने में महीनेभर में दर्ज होने वाली शिकायतों में इनकी संख्या 20 से 30 प्रतिशत है। ज्यादातर पतियों की शिकायत है कि उनकी पत्नी बात नहीं मानती और मोबाइल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करती है।
सच तो यह है कि महानगरीय तर्ज पर बदल रही लाइफ स्टाइल और स्वतंत्रता की चाहत रखने वाले युवा परिवार से लगातार दूर होते जा रहे हैं। कई पतियों ने तो शिकायत में कहा कि उनकी पत्नी सिर्फ मोबाइल और टीवी में लगी रहती है, कई बार समझाने के बाद भी नहीं मानती।
कुछ की शिकायत है कि पत्नी बात नहीं मानती, जिस कारण मानसिक दबाव झेलना पड़ता है। इसके अलावा भी कई ऎसे युवक लगातार महिला थाने पहुंच रहे हैं, जिन्हें उनकी पत्नी परिवार से अलग रहने का दवाब बना रही हैं। कम आय को लेकर भी वे ताना मारती रहती हैं।
तेजी से बदल रही जीवन शैली में ऎसा लगता है कि एक हद तक सब कुछ सहन करने वाले पतियों के सब्र का बांध अब टूट गया है और वे कानून की मदद के साथ मनोचिकित्सकीय मदद के लिए दौड़-भाग कर रहे हैं।
महिला थाना प्रभारी मंजूलता राठौर ने बताया कि पत्नी से परेशान पतियों की शिकायतें भी हमारे पास आ रही हैं। नवविवाहितों में समस्याएं ज्यादा हैं, क्योंकि आजकल की लड़कियां ससुराल में एडजस्ट करने को राजी नहीं हैं और शिकायत लेकर उनके पति हम तक पहंुच रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक व काउंसलर लीना रमन कहती हैं कि हां, ऎसे मामले बढ़ रहे हैं। हर महीने ऎसे कई केस हमारे पास आ ही जाते हैं, जिसमें पति अपनी पत्नी की ज्यादतियों से परेशान हैं। इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि परेशान पतियों की पत्नियां काउंसिलिंग में नहीं आतीं। ऎसे में हम पतियों को सलाह देते हैं कि वे पूरे आत्मविश्वास के साथ गलत चीजों का विरोध करें और पत्नी को समझाने का प्रयास करते रहें।
सच तो यह है कि महानगरीय तर्ज पर बदल रही लाइफ स्टाइल और स्वतंत्रता की चाहत रखने वाले युवा परिवार से लगातार दूर होते जा रहे हैं। कई पतियों ने तो शिकायत में कहा कि उनकी पत्नी सिर्फ मोबाइल और टीवी में लगी रहती है, कई बार समझाने के बाद भी नहीं मानती।
कुछ की शिकायत है कि पत्नी बात नहीं मानती, जिस कारण मानसिक दबाव झेलना पड़ता है। इसके अलावा भी कई ऎसे युवक लगातार महिला थाने पहुंच रहे हैं, जिन्हें उनकी पत्नी परिवार से अलग रहने का दवाब बना रही हैं। कम आय को लेकर भी वे ताना मारती रहती हैं।
तेजी से बदल रही जीवन शैली में ऎसा लगता है कि एक हद तक सब कुछ सहन करने वाले पतियों के सब्र का बांध अब टूट गया है और वे कानून की मदद के साथ मनोचिकित्सकीय मदद के लिए दौड़-भाग कर रहे हैं।
महिला थाना प्रभारी मंजूलता राठौर ने बताया कि पत्नी से परेशान पतियों की शिकायतें भी हमारे पास आ रही हैं। नवविवाहितों में समस्याएं ज्यादा हैं, क्योंकि आजकल की लड़कियां ससुराल में एडजस्ट करने को राजी नहीं हैं और शिकायत लेकर उनके पति हम तक पहंुच रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक व काउंसलर लीना रमन कहती हैं कि हां, ऎसे मामले बढ़ रहे हैं। हर महीने ऎसे कई केस हमारे पास आ ही जाते हैं, जिसमें पति अपनी पत्नी की ज्यादतियों से परेशान हैं। इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि परेशान पतियों की पत्नियां काउंसिलिंग में नहीं आतीं। ऎसे में हम पतियों को सलाह देते हैं कि वे पूरे आत्मविश्वास के साथ गलत चीजों का विरोध करें और पत्नी को समझाने का प्रयास करते रहें।
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