नई दिल्ली। रेप व मर्डर जैसे गंभीर अपराधों के नाबालिग आरोपी अब 18 वर्ष से कम उम्र की आड़ में बच नहीं पाएंगे।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में बदलाव के तहत महिला विकास मंत्रालय जिस नए बिल पर विचार कर रहा है। इसके मुताबिक अगर रेप व मर्डर का आरोपी 16 साल से अधिक उम्र का साबित हुआ तो उसे बालिगों की तरह कठोर सजा दी जाएगी।
सजा उम्रकैद भी हो सकती है। हालांकि कुछ बाल संगठनों को इस पर आपत्ति है। लेकिन केंद्र ने इस दिशा में मन बना लिया है। मंत्रालय ने एक्ट में बदलाव के लिए आमजन, सामाजिक और गैर-सरकारी संगठनों से तीन जुलाई तक सुझाव मांगे थे।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय को ज्यादतर सुझाव यही मिले हैं कि 16 साल से बड़े बच्चे मानसिक तौर पर परिपक्व हो जाते हैं, लिहाजा उन्हें भी गंभीर मामले में कठोर सजा हों । मंत्रालय ने यह सुझाव लगभग मान लिया हैऔर इसे प्रस्तावित बिल में शामिल किया जा सकता है।
वर्ष 2012 के दिल्ली गैंगरेप के बाद यूपीए सरकार ने प्रस्ताव तैयार किया था कि जुवेनाइल बोर्ड की सिफारिश पर गंभीर मामलों में 16 वर्ष से अधिक उम्र के आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी जा सकती है।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में बदलाव के तहत महिला विकास मंत्रालय जिस नए बिल पर विचार कर रहा है। इसके मुताबिक अगर रेप व मर्डर का आरोपी 16 साल से अधिक उम्र का साबित हुआ तो उसे बालिगों की तरह कठोर सजा दी जाएगी।
सजा उम्रकैद भी हो सकती है। हालांकि कुछ बाल संगठनों को इस पर आपत्ति है। लेकिन केंद्र ने इस दिशा में मन बना लिया है। मंत्रालय ने एक्ट में बदलाव के लिए आमजन, सामाजिक और गैर-सरकारी संगठनों से तीन जुलाई तक सुझाव मांगे थे।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय को ज्यादतर सुझाव यही मिले हैं कि 16 साल से बड़े बच्चे मानसिक तौर पर परिपक्व हो जाते हैं, लिहाजा उन्हें भी गंभीर मामले में कठोर सजा हों । मंत्रालय ने यह सुझाव लगभग मान लिया हैऔर इसे प्रस्तावित बिल में शामिल किया जा सकता है।
वर्ष 2012 के दिल्ली गैंगरेप के बाद यूपीए सरकार ने प्रस्ताव तैयार किया था कि जुवेनाइल बोर्ड की सिफारिश पर गंभीर मामलों में 16 वर्ष से अधिक उम्र के आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी जा सकती है।
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