नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी की सरकार ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक झटका दिया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी ने मनरेगा को लेक र दिए गए राजे के सुझाव को मानने से इनकार कर दिया है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को लेकर राजे के लिखे पत्र के जबाव में गडकरी ने उनके अधिकतर सुझावों को नकार दिया है।
राजे ने ग्रामीण विकास मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में पूछा था कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को एक योजना के तौर पर लागू क्यों नहीं हो सकता है।
उन्होंने लिखा था कि मनरेगा के कानून के तौर पर लागू करने से उसका ज्यादा लाभ लोगों को नहीं मिल पाएगा। उन्होेने कौशल विकास योजनाओं को भी मनरेगा से जोड़ने का सुझाव दिया था।
उनके इन सुझावों को लेकर कांग्रेस हमलावर हो गई थी, उसे डर था कि मोदी सरकार यूपीए सरकार के इस लोकप्रिय काूनन में कोई बदलाव न करे दे इसलिए क ांग्रेस ने विरोध-प्रदर्शन की चेतावनी दी थी।
हालांकि बाद में राजे ने मनेरगा पर अपने दिए गए सुझावों को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया और उसको विस्तार से समझाया। लेकिन मोदी सरकार ने उनके सुझावों को नहीं माना।
गडकरी का जवाब
26 जून को लिखे जवाब में गडकरी ने कहा है कि मनरेगा एक योजना के बजाय कानून के तौर पर ही ठीक है। इस कानून से दो लाभ होता है। इससे अकुशल लोगों के लिए रोजगार पैदा होता है और दूसरा यह कि जब खेती किसानी के दिन नहीं होते हैं तो लोगों को उस समय में भी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराया जाता है। इससे उपयोगी संपत्ति का निर्माण होता है जैसे जमीन, पानी और पेड़ ।
उन्होंने कहा कि इस तरह के लक्ष्यों को इस प्रकिया से ही हासिल किया जाना चाहिए, लेकिन इसके लिए मनरेगा को और पारदर्शी बनाया जाए। उन्होंने मनरेगा के फंड को कौशल विकास में इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को लेकर राजे के लिखे पत्र के जबाव में गडकरी ने उनके अधिकतर सुझावों को नकार दिया है।
राजे ने ग्रामीण विकास मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में पूछा था कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को एक योजना के तौर पर लागू क्यों नहीं हो सकता है।
उन्होंने लिखा था कि मनरेगा के कानून के तौर पर लागू करने से उसका ज्यादा लाभ लोगों को नहीं मिल पाएगा। उन्होेने कौशल विकास योजनाओं को भी मनरेगा से जोड़ने का सुझाव दिया था।
उनके इन सुझावों को लेकर कांग्रेस हमलावर हो गई थी, उसे डर था कि मोदी सरकार यूपीए सरकार के इस लोकप्रिय काूनन में कोई बदलाव न करे दे इसलिए क ांग्रेस ने विरोध-प्रदर्शन की चेतावनी दी थी।
हालांकि बाद में राजे ने मनेरगा पर अपने दिए गए सुझावों को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया और उसको विस्तार से समझाया। लेकिन मोदी सरकार ने उनके सुझावों को नहीं माना।
गडकरी का जवाब
26 जून को लिखे जवाब में गडकरी ने कहा है कि मनरेगा एक योजना के बजाय कानून के तौर पर ही ठीक है। इस कानून से दो लाभ होता है। इससे अकुशल लोगों के लिए रोजगार पैदा होता है और दूसरा यह कि जब खेती किसानी के दिन नहीं होते हैं तो लोगों को उस समय में भी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराया जाता है। इससे उपयोगी संपत्ति का निर्माण होता है जैसे जमीन, पानी और पेड़ ।
उन्होंने कहा कि इस तरह के लक्ष्यों को इस प्रकिया से ही हासिल किया जाना चाहिए, लेकिन इसके लिए मनरेगा को और पारदर्शी बनाया जाए। उन्होंने मनरेगा के फंड को कौशल विकास में इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया।
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