सोमवार, 23 जून 2014

अपनी मां पर फिल्म बना रही रेड लाइट इलाके की बेटी

कोलकाता। एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट इलाके सोनागाछी और मुंशीगंज में मां के साथ रहने वाली करीब 50 लड़कियों का समूह इन दिनों अपनी मां की दिनचर्या पर कहानी लिखने और उनकी कहानी कैमरे में कैद करने में व्यस्त है।

फिल्म निर्देशक असीम आशा ने यहां आयोजित चार दिवसीय वीडिओ मेकिंग वर्कशॉप में इन बालिकाओं को फिल्मांकन का प्रशिक्षण दिया। इन वीडियो फिल्मों को फ्रेंच फिल्मोत्सव में दिखाया जाएगा।

एक बालिका ने कहा कि फिल्म में उसकी मां की वेश्यावृत्ति के कारण नर्क बनी रोज की जिंदगी की कहानी है। 14 वर्षीय पुष्पा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह पढ़ने के साथ अपनी मां की मदद करना चाहती है।

वीडियो फिल्म के जरिए वह सारी दुनिया को दिखाना चाहती है कि उसकी मां की जिंदगी कितनी कठिन है। फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है। अब वह विशेषज्ञों के दिशा निर्देश में फिल्म को अंतिम रूप देने में लगी हैं।

आठ वर्षीय संजना (बदला हुआ नाम) ने कहा कि वह बॉलीवुड की फिल्म निर्देशिका बनना चाहती है। वह जीवन में पहली बार कहानी लिख रही है और कैमरा भी पहली बार देख रही है। अभी वह कैमरे का इस्तेमाल करना सीख रही है।

मानव तस्करी विरोधी संगठन अपने आप वूमेन वर्ल्डवाइड नामक गैर सरकारी संगठन की संस्थापक रूचिरा गुप्ता ने बताया कि फिल्म बनाने का प्रशिक्षण देकर कर हम इन बालिकाओं के जीवन में उमंग और रंग भरने की कोशिश कर रहे हैं।

फ्रेंच फिल्मोत्सव के आयोजक कुछ वीडियो फिल्मों को प्रदर्शित करने के लिए राजी हो गए हैं। इन फिल्मों को दूसरे फिल्मोत्सव में भी दिखाया जाएगा।

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