जयपुर। राजस्थान सरकार ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों की ग्रेड पे 2400 रूपए से घटाकर 1900 रूपए करने के संबंध में उसके पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस मामले में राज्य सरकार के पास कर्मचारियों की ग्रेड पे घटाने से संबंधित ऎसा कोई प्रस्ताव किसी भी स्तर पर विचाराधीन नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सचिवालय कर्मचारी संघ ने सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के ग्रेड पे 2400 रूपए को घटाकर फिर से1900 रूपए करने वाली हैं तथा इस संबंध में वित्त विभाग ने कोई प्रस्ताव भी तैयार किया है।
संघ के अध्यक्ष धीरज गुप्ता ने मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त विशेषाधिकारी नरेन्द्र गुप्ता को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम ज्ञापन देकर मांग की थी कि वित्त विभाग के इस तरह के प्रस्ताव को नहीं माना जाए। साथ ही गुप्ता ने चेताया है कि यदि सरकार इस विषय में फैसला लेती है, तो पूरे राज्य में उसे कर्मचारियों को रोष भुगतना पड़ेगा।
गुप्ता के अनुसार कर्मचारियों की ग्रेड-पे 1900 रूपए रही है, जिसे लंबे संघर्ष के बाद पूर्ववर्ती सरकार ने तत्कालीन प्रमुख वित्त सचिव गोविंद शर्मा की अध्यक्षता में गठित कमेटी की सिफारिशों के बाद बढ़ाकर 2400 रूपए किया था।
इससे कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली थी, अब यदि इसे फिर से घटाया जाएगा, तो लगभग एक लाख कर्मचारियों (एलडीसी, कांस्टेबल, सूचना सहायक आदि) को मूल वेतन में सामान्यत: 1000 से 4000 हजार रूपए प्रतिमाह तक का नुकसान होगा।
उल्लेखनीय है कि सचिवालय कर्मचारी संघ ने सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के ग्रेड पे 2400 रूपए को घटाकर फिर से1900 रूपए करने वाली हैं तथा इस संबंध में वित्त विभाग ने कोई प्रस्ताव भी तैयार किया है।
संघ के अध्यक्ष धीरज गुप्ता ने मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त विशेषाधिकारी नरेन्द्र गुप्ता को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम ज्ञापन देकर मांग की थी कि वित्त विभाग के इस तरह के प्रस्ताव को नहीं माना जाए। साथ ही गुप्ता ने चेताया है कि यदि सरकार इस विषय में फैसला लेती है, तो पूरे राज्य में उसे कर्मचारियों को रोष भुगतना पड़ेगा।
गुप्ता के अनुसार कर्मचारियों की ग्रेड-पे 1900 रूपए रही है, जिसे लंबे संघर्ष के बाद पूर्ववर्ती सरकार ने तत्कालीन प्रमुख वित्त सचिव गोविंद शर्मा की अध्यक्षता में गठित कमेटी की सिफारिशों के बाद बढ़ाकर 2400 रूपए किया था।
इससे कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली थी, अब यदि इसे फिर से घटाया जाएगा, तो लगभग एक लाख कर्मचारियों (एलडीसी, कांस्टेबल, सूचना सहायक आदि) को मूल वेतन में सामान्यत: 1000 से 4000 हजार रूपए प्रतिमाह तक का नुकसान होगा।
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