बुधवार, 11 जून 2014

निजी स्कूलों को मात देंगे सरकारी स्कूल, "स्मृति प्लान" तैयार



नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव करने का फैसला किया है।

Smriti Irani action plan is getting ready for mid day meal 
ईरानी ने स्कूली क्षेत्र में बदलाव के लिए तीन स्तरों पर कार्य करने की रूपरेखा बनाई है। जिसमें सबसे पहले अनिवार्य मीड डे मील योजना के भाग के रूप में बच्चों को छाछ देने की योजना पर विचार किया जा रहा है।

साथ ही जिला स्तर पर प्रतिभाशाली लड़के और लड़कियों के लिए अलग मॉडल स्कूलों को खोलने पर भी विचार किया जा रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले योग्य छात्र-छात्राओं को सीधा लाभ होगा।

इसके अलावा छात्रों में खेल और स्वास्थ्य के प्रति रूचि बढ़े इसके लिए हर स्कूल में शनिवार को खेल दिवस के रूप में शुरू करने के लिए स्कूल विभाग को कहा है। स्कूल बच्चों के बीच बड़े पैमाने पर सुधार के लिए सरकार इस ओर कदम बढ़ा रही है।

मक्खन दूध
छात्रों को मक्खन दूध देने के अतिरिक्त छाछ पिलाने की योजना के लिएलागत भार पर विचार किया जा रहा है। मीड डे मील से 12.65 लाख स्कूलों के 12 करोड़ बच्चों ने लाभ उठाया है।

केरल और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों में मीड डे मील के तहत बच्चों को दूध दिया जा रहा है। कुछ राज्यों में लड़कियों को आयरन की गोलियां और अन्य स्वास्थ्य की खुराक भी दी जा रही है।

ईरानी ने मॉडल स्कूलों को शुरू करने की लागत पर गौर करने के लिए मंत्रालय से कहा गया है। नवोदय विद्यालय संगठन से भी इस प्रस्ताव की जांच करने के लिए कहा गया है। यूपीए सरकार ने सार्वजनिक -निजी भागीदारी के तहत 3500 सरकारी मॉडल स्कूल और 2500 पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी के मॉडल स्कूल सहित कुल 6000 मॉडल स्कूलों का प्रस्ताव किया था।

पढ़ाई के साथ खेल
पीपीपी के तहत चल रहे स्कूलों में सुधार आने में अभी वक्त लगेगा लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय और योजना आयोग की कोशिशें जल्द से जल्द इन स्कूलों में सुधार कर शिक्षा क्षेत्र में साकारात्मक बदलाव लाने की है।

बावजूद इसके वास्तविकता यह है कि सरकार के तहत चलने वाले मॉडल स्कूलों का परिचालन भी ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है। जरूरत इस बात है कि सरकार न केवल योजना बनाएं बल्कि इन पर अमल भी कराए।

खेलों में छात्रों के रूझान को बढ़ाने के लिए सप्ताह में एक दिन खेल को देना भी अच्छा विचार है इससे खेल के प्रति बच्चों में सकारात्मक बदलाव नजर आएगा। बच्चों में विश्वास बढ़ाने के लिए खेल को पूरा समय देना ज्यादा जरूरी है।

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