जयपुर। प्रदेश में सरकार बनते ही अपने-अपने लोगों को "सेट" करने के लिए ट्रांसफर की लम्बी कतारों के बीच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंत्रियों को दो टूक नसीहत देते हुए कहा कि वे पहले काम करें, इसके बाद तबादलों की सोचना। इस समय सरकार को काम की जरूरत है। राज्य मंत्रिपरिषद की चार दिन पहले हुई बैठक में राजे के समक्ष करीब-करीब सभी मंत्रियों ने ट्रांसफर का मुद्दा उठाया।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गुलाब चंद कटारिया, शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ और चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने ट्रांसफरों के मुद्दे को उठाया। मंत्रियों का कहना था कि रोजाना स्थानान्तरण के ढेरों आवेदन आ रहे हैं। राजनीतिक दबाव भी है। कोई ना कोई नीति बनाई जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि इन तीनों ही मंत्रियों के विभागों में सर्वाधिक ट्रांसफर के मामले आते हैं।
मंत्रियों की दलील पर राजे ने कहा कि ट्रांसफर करना कोई हल नहीं है। एक को हटाओगे तो दूसरा उसी का भाई आएगा। यह तो हमेशा ही चलता रहेगा। हर साल ट्रांसफर का काम होता है। इसलिए तबादलों से ज्यादा प्रदेश को काम की जरूरत है। बीकानेर संभाग का दौरा सिर पर है। इसलिए ट्रांसफरों को छोड़ो और पहले काम पर ध्यान दो।
पहले नीति बनाने को कहा
इस बीच ट्रांसफर को लेकर मंत्रियों का ज्यादा दबाव दिखा तो मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि दो-तीन मंत्री ट्रांसफर को लेकर कोई नीति बना लें। इसके बाद तय करेंगे कि क्या करना है? बताया जा रहा है कि स्थानान्तरण को लेकर अनौपचारिक रूप से गुलाब चंद कटारिया, राजेन्द्र राठौड़ और कालीचरण सराफ को नीति बनाने का जिम्मा दिया गया है। ये तीनों अन्य मंत्रियों से चर्चा कर स्थानान्तरण को लेकर कोई नीति बना सकते हैं।
राजनीतिक तबादले ज्यादा
मंत्रियों का कहना था कि विधायक, सांसद हो या फिर संगठन के पदाधिकारी, सभी ढेरों अर्जियां लेकर आ रहे हैं और यह कह रहे हैं कि इन्होंने साथ दिया था। अब सरकार बदल गई है, इसलिए इनको मनचाही जगह पोस्टिंग दी जाए। कांग्रेस सरकार में इन लोगों को दूर पटका हुआ था।
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