पणजी। देश की जर्जर आर्थिक हालत के लिए पिछली सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को साफ-साफ कहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वह कडे कदम उठाने से कोई गुरेज नहीं करेंगे चाहे इसके लिए उन्हे जनता की नाराजगी क्यों न झेलनी पडे।
संसद के बजट सत्र के शुरू होने से कुछ ही पहले मोदी ने कहा कि हमें देश के हित में कड़े और साहसी फैसले लेने होंगे। उन्होंने पिछली सरकार और उसकी आर्थिक नीतियों को देश की जर्जर हो चली आर्थिक स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार वाले जब गए हैं तो कुछ भी नही बचा है सब खाली कर दिया और खोखला भी कर दिया।
उन्होंने कहा कि हम जो फैसला करेंगे वह सिर्फ और सिर्फ देश के लिए करेंगे। हमारी पहली प्राथमिकता देश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाना है और यह बिना कडे कदम उठाये संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि बीमारी ऎसी है कि कड़वी दवाई तो देनी ही पडेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह यह जानते हैं कि आने वाले समय में इस कारण काफी लोग उन्हें नापसंद भी करने लगेंगे। साथ ही उन्होंने उम्मीद भी जताई कि लोग वास्तविकता को समझेंगे और देश को फिर से एक आर्थिक ताकत बनाने में उनके साथ सहयोग करेंगे। मोदी यहां बाम्बोलिम में भाजपा कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उनके साथ गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर भी मौजूद थे।
मेादी ने केन्द्र के साथ साथ राज्यों को भी मजबूत बनाने पुरजोर वकालत की। उनका कहना था कि जब तक राज्यों में विकास नहीं होगा और वे मजबूत नहीं बनेंगे तब तक देश प्रगति नहीं कर सकता। मोदी ने गोवा के साथ अपने संबंधों का जिक्र करते हुए कहाकि वह यहां चुनाव के दौरान प्रभारी रहे और इसके कारण उनके इस राज्य के साथ विशेष संबंध बन चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने इसके बाद मांडवी नदी पर नए पुल की आधारशिला भी रखी। उन्होंने कहा कि देश में पर्यटन को बढ़ावा देने में गोवा का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। इसके लिए जरूरी है कि बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाए। इससे देश की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।
मोदी अब भी कैंपेन मोड में : कांग्रेस
यूपीए सरकार से विरासत में एक दिवालिया और जर्जर देश मिलने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि वे अब भी कैंपेन मोड में हैं और अब भी विश्वास नहीं कर पाए हैं कि वे एक सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा, "वे देश के प्रधानमंत्री हैं उन्हें प्रधानमंत्री के जैसा व्यवहार करना चाहिए। विपक्ष के नेता जैसा नहीं।"
संसद के बजट सत्र के शुरू होने से कुछ ही पहले मोदी ने कहा कि हमें देश के हित में कड़े और साहसी फैसले लेने होंगे। उन्होंने पिछली सरकार और उसकी आर्थिक नीतियों को देश की जर्जर हो चली आर्थिक स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार वाले जब गए हैं तो कुछ भी नही बचा है सब खाली कर दिया और खोखला भी कर दिया।
उन्होंने कहा कि हम जो फैसला करेंगे वह सिर्फ और सिर्फ देश के लिए करेंगे। हमारी पहली प्राथमिकता देश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाना है और यह बिना कडे कदम उठाये संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि बीमारी ऎसी है कि कड़वी दवाई तो देनी ही पडेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह यह जानते हैं कि आने वाले समय में इस कारण काफी लोग उन्हें नापसंद भी करने लगेंगे। साथ ही उन्होंने उम्मीद भी जताई कि लोग वास्तविकता को समझेंगे और देश को फिर से एक आर्थिक ताकत बनाने में उनके साथ सहयोग करेंगे। मोदी यहां बाम्बोलिम में भाजपा कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उनके साथ गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर भी मौजूद थे।
मेादी ने केन्द्र के साथ साथ राज्यों को भी मजबूत बनाने पुरजोर वकालत की। उनका कहना था कि जब तक राज्यों में विकास नहीं होगा और वे मजबूत नहीं बनेंगे तब तक देश प्रगति नहीं कर सकता। मोदी ने गोवा के साथ अपने संबंधों का जिक्र करते हुए कहाकि वह यहां चुनाव के दौरान प्रभारी रहे और इसके कारण उनके इस राज्य के साथ विशेष संबंध बन चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने इसके बाद मांडवी नदी पर नए पुल की आधारशिला भी रखी। उन्होंने कहा कि देश में पर्यटन को बढ़ावा देने में गोवा का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। इसके लिए जरूरी है कि बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाए। इससे देश की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।
मोदी अब भी कैंपेन मोड में : कांग्रेस
यूपीए सरकार से विरासत में एक दिवालिया और जर्जर देश मिलने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि वे अब भी कैंपेन मोड में हैं और अब भी विश्वास नहीं कर पाए हैं कि वे एक सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा, "वे देश के प्रधानमंत्री हैं उन्हें प्रधानमंत्री के जैसा व्यवहार करना चाहिए। विपक्ष के नेता जैसा नहीं।"
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