बांसवाड़ा। जनजाति बाहुल्य बांसवाड़ा में चंद रूपयों की लालच में मासूमों का चरवाहों के हाथों 20-20 हजार रूपए में सौदा कर देने का गंभीर मामला सामने आया है।
जिले के तीन गांवों के चार परिवारों ने रिश्ते, ममता और संवेदना को ताक में रखकर अपने ही बच्चों को एक साल के लिए चरवाहों को सौंप दिया।
इसका भांडा तब फूटा जब ये बच्चे शोषण से परेशान होकर भाग खड़े हुए और लावारिस हालत में मध्य प्रदेश के हरदा रेलवे स्टेशन पर बरामद किए गए। फिलहाल बच्चे मध्यप्रदेश में ही सरकारी संरक्षण में हैं। बच्चों के बयानों में प्रारंभिक तौर पर सौदे की पुष्टि हुई है।
बच्चों को घर पहुंचाया जाएगा
बाल कल्याण समिति बांसवाड़ा के अध्यक्ष गोपाल पंडया ने बताया कि बच्चों को यहां लाने के बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
चाइल्ड लाइन हरदा मध्यप्रदेश के हेमंत चंदेवा ने बताया कि जल्द बच्चों को उनके घर तक पहुंचाया जाएगा। गरीबी के कारण वागड़ के बालकों का शोषण अर्से से चल रहा है।
इस काम में बकायदा दलाल सक्रिय हैं, जो स्टॉम्प पर इकरारनामे के माध्यम से बच्चे एक से दो वर्ष के लिए तय राशि में चरवाहों तक पहुंचाते रहे हैं। बच्चों के शोषण के इस काम में दलाल अपनी "चांदी" कूट लेते हैं। बिहार व अन्य राज्यों में भी ठेकेदारों के माध्यम से बच्चे श्रम के लिए ले जाए जाते रहे हैं।
बच्चों की उम्र 12 साल से कम
इन बच्चो की आयु बारह साल से कम है और बांसवाड़ा जिले के उबापाणा, धनपुरा व सरवनी गांव के हैं। बच्चों को चाइल्ड लाइन हरदा के माध्यम से बाल कल्याण समिति खण्डवा ने शेल्टर होम में रखवाया है।
चाइल्ड लाइन और समिति के लोगों को बच्चों ने बताया कि उन्हें भेड़ें चराने के लिए बीस-बीस हजार रूपए में चरवाहों को सौंपा गया है।
चरवाहों के पास एक वर्ष रहना था, लेकिन भेड़ों के साथ कई किलोमीटर पैदल सफर कराने के अलावा उन्हें पूरा खाना भी नहीं दिया जा रहा था। आए दिन मारपीट हो रही थी। इस पर उन्होंने भागने की योजना बनाई। -
जिले के तीन गांवों के चार परिवारों ने रिश्ते, ममता और संवेदना को ताक में रखकर अपने ही बच्चों को एक साल के लिए चरवाहों को सौंप दिया।
इसका भांडा तब फूटा जब ये बच्चे शोषण से परेशान होकर भाग खड़े हुए और लावारिस हालत में मध्य प्रदेश के हरदा रेलवे स्टेशन पर बरामद किए गए। फिलहाल बच्चे मध्यप्रदेश में ही सरकारी संरक्षण में हैं। बच्चों के बयानों में प्रारंभिक तौर पर सौदे की पुष्टि हुई है।
बच्चों को घर पहुंचाया जाएगा
बाल कल्याण समिति बांसवाड़ा के अध्यक्ष गोपाल पंडया ने बताया कि बच्चों को यहां लाने के बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
चाइल्ड लाइन हरदा मध्यप्रदेश के हेमंत चंदेवा ने बताया कि जल्द बच्चों को उनके घर तक पहुंचाया जाएगा। गरीबी के कारण वागड़ के बालकों का शोषण अर्से से चल रहा है।
इस काम में बकायदा दलाल सक्रिय हैं, जो स्टॉम्प पर इकरारनामे के माध्यम से बच्चे एक से दो वर्ष के लिए तय राशि में चरवाहों तक पहुंचाते रहे हैं। बच्चों के शोषण के इस काम में दलाल अपनी "चांदी" कूट लेते हैं। बिहार व अन्य राज्यों में भी ठेकेदारों के माध्यम से बच्चे श्रम के लिए ले जाए जाते रहे हैं।
बच्चों की उम्र 12 साल से कम
इन बच्चो की आयु बारह साल से कम है और बांसवाड़ा जिले के उबापाणा, धनपुरा व सरवनी गांव के हैं। बच्चों को चाइल्ड लाइन हरदा के माध्यम से बाल कल्याण समिति खण्डवा ने शेल्टर होम में रखवाया है।
चाइल्ड लाइन और समिति के लोगों को बच्चों ने बताया कि उन्हें भेड़ें चराने के लिए बीस-बीस हजार रूपए में चरवाहों को सौंपा गया है।
चरवाहों के पास एक वर्ष रहना था, लेकिन भेड़ों के साथ कई किलोमीटर पैदल सफर कराने के अलावा उन्हें पूरा खाना भी नहीं दिया जा रहा था। आए दिन मारपीट हो रही थी। इस पर उन्होंने भागने की योजना बनाई। -
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