जमेर। आरएएस मुख्य परीक्षा-2012 के मूल्यांकन में अपनाई गई स्केलिंग पद्धति को अवैध ठहराते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य परीक्षा का परिणाम रद्द कर दिया है।
सोमवार को न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास ने बाड़मेर निवासी भंवरलाल की रिट याचिका को मंजूर करते हुए आयोग को रॉ-मार्क्स के आधार पर एक माह में संशोधित परिणाम घोषित करने का आदेश भी दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि स्केलिंग पद्धति को उचित नहीं ठहराया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्केलिंग और मॉडरेशन पद्धति को अनुचित माना है।
न्यायाधीश व्यास ने कहा कि मुख्य परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद बढ़ाए गए पद भी इस भर्ती में शामिल नहीं किए जा सकते। बढ़ाए गए पद नए नियमों के तहत ही भरे जा सकेंगे।
गौरतलब है कि रिट याचिका में स्केलिंग पद्धति को चुनौती दी गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। पुरानी पद्धति से यह आरएएस भर्ती की आखिरी परीक्षा थी। इसके बाद नई पद्धति से भर्ती की जानी है। नई पद्धति के तहत केवल चार पर्चे होंगे और स्केलिंग जैसी प्रक्रिया से भी नहीं गुजरना होगा।
0 से 47 हो गए अंक
भर्ती परीक्षा में स्केलिंग पद्धति अपनाने को लेकर हाईकोर्ट ने आरपीएससी से बिन्दुवार जवाब मांगे थे। आरपीएससी की ओर से अधिवक्ता जे.पी. जोशी, हनुमान सिंह चौधरी और खेत सिंह ने न्यायालय में आयोग का पक्ष रखा।
उन्होंने स्केलिंग पद्धति को सही ठहराया तो याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दो ऎसे अभ्यर्थियों की अंक-तालिकाएं कोर्ट में पेश कीं, जिनके स्केलिंग के बाद अंक 0 से 47 और 47 से 0 हो गए। आरपीएससी के अधिवक्ताओं ने इसे लिपिकीय त्रुटि बताया।
निरस्त होंगे साक्षात्कार
आरपीएससी 3 मार्च से होने वाले साक्षात्कार स्थगित कर चुकी थी। अब संपूर्ण साक्षात्कार निरस्त होंगे। आयोग इस संबंध में अलग से आदेश एक-दो दिन में निकालेगा।
आगे क्या?
फैसला हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सुनाया है। ऎसे में आयोग इसकी अपील खंडपीठ में कर सकता है। वहां भी राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। यदि संभावित संशोधित परिणाम घोçष्ात किया जाता है और उसमें अभ्यर्थी अंदर-बाहर होते हैं तो बाहर हुए अभ्यर्थी फिर कोर्ट की शरण ले सकते हैं।
फैसले के अध्ययन के बाद विशेष्ाज्ञों से राय ली जाएगी। फिर कार्यवाही का निर्णय होगा। डॉ. हबीब खां गौरान, अध्यक्ष, आरपीएससी -
सोमवार को न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास ने बाड़मेर निवासी भंवरलाल की रिट याचिका को मंजूर करते हुए आयोग को रॉ-मार्क्स के आधार पर एक माह में संशोधित परिणाम घोषित करने का आदेश भी दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि स्केलिंग पद्धति को उचित नहीं ठहराया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्केलिंग और मॉडरेशन पद्धति को अनुचित माना है।
न्यायाधीश व्यास ने कहा कि मुख्य परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद बढ़ाए गए पद भी इस भर्ती में शामिल नहीं किए जा सकते। बढ़ाए गए पद नए नियमों के तहत ही भरे जा सकेंगे।
गौरतलब है कि रिट याचिका में स्केलिंग पद्धति को चुनौती दी गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। पुरानी पद्धति से यह आरएएस भर्ती की आखिरी परीक्षा थी। इसके बाद नई पद्धति से भर्ती की जानी है। नई पद्धति के तहत केवल चार पर्चे होंगे और स्केलिंग जैसी प्रक्रिया से भी नहीं गुजरना होगा।
0 से 47 हो गए अंक
भर्ती परीक्षा में स्केलिंग पद्धति अपनाने को लेकर हाईकोर्ट ने आरपीएससी से बिन्दुवार जवाब मांगे थे। आरपीएससी की ओर से अधिवक्ता जे.पी. जोशी, हनुमान सिंह चौधरी और खेत सिंह ने न्यायालय में आयोग का पक्ष रखा।
उन्होंने स्केलिंग पद्धति को सही ठहराया तो याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दो ऎसे अभ्यर्थियों की अंक-तालिकाएं कोर्ट में पेश कीं, जिनके स्केलिंग के बाद अंक 0 से 47 और 47 से 0 हो गए। आरपीएससी के अधिवक्ताओं ने इसे लिपिकीय त्रुटि बताया।
निरस्त होंगे साक्षात्कार
आरपीएससी 3 मार्च से होने वाले साक्षात्कार स्थगित कर चुकी थी। अब संपूर्ण साक्षात्कार निरस्त होंगे। आयोग इस संबंध में अलग से आदेश एक-दो दिन में निकालेगा।
आगे क्या?
फैसला हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सुनाया है। ऎसे में आयोग इसकी अपील खंडपीठ में कर सकता है। वहां भी राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। यदि संभावित संशोधित परिणाम घोçष्ात किया जाता है और उसमें अभ्यर्थी अंदर-बाहर होते हैं तो बाहर हुए अभ्यर्थी फिर कोर्ट की शरण ले सकते हैं।
फैसले के अध्ययन के बाद विशेष्ाज्ञों से राय ली जाएगी। फिर कार्यवाही का निर्णय होगा। डॉ. हबीब खां गौरान, अध्यक्ष, आरपीएससी -
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