नई दिल्ली/गांधीनगर। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी एवं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पक्ष में देश में बह रही हवा से कांग्रेस हाईकमान भी सकते में हैं। खासकर कांग्रेस को गुजरात में उसके अपनों के ही साथ छोड़कर जाने की बढ़ रही फेहरिस्त ने और परेशानी में डाल दिया है।
बीते एक पखवाड़े में कांग्रेस के 5 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं, इनमें से तीन ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा छोड़कर कभी कांग्रेस में शामिल हुए दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला भी कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं। उनके फिर से बीजेपी में लौटने के कयास लगाए जा रहे हैं।
मालूम हो कि मोदी के पीएम पद का उम्मीदवार बनने के बाद से उनके पक्ष में एक के बाद एक नेता के जाने से कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा संकट यह खड़ा हो गया है कि वह पहले पार्टी में हो रही बगावत को थामे या मोदी के खिलाफ चुनावी तैयारी में जुटे।
मोदी की रणनीति गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट जीतने की है। वह इसी लक्ष्य को लेकर अपने कुनबे को बढ़ाने में लगे हैं। सोमवार को गुजरात परिवर्तन पार्टी (जीपीपी) का भाजपा में विलय कर दिया गया। जीपीपी के मौजूदा अध्यक्ष गोरधन झड़फिया और जीपीपी से विधायक रहे नलीन कोटडिया ने अपने वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ केसरिया धारण कर लिया।
भाजपा में विलीनीकरण पर गोरधन झड़फिया का कहना है कि भाजपा मातृ संस्था है। भले ही हमारे बीच मतभेद रहे हों, लेकिन मतभेद देश से बड़े नहीं हैं। गुजरात और देश हित की बात आएगी तो एकजुट रहेंगे। यह आत्मसमर्पण नहीं विलीनीकरण है। उन्होंने दावा किया कि सभी वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों की सहमति के बाद ही यह निर्णय किया गया। जीपीपी के करीब सात लाख प्राथमिक सदस्य हैं।
पूर्व गृह मंत्री हरेन पंडया की पत्नी एवं जीपीपी नेता जागृति बेन के बारे में पूछने पर झड़फिया ने कहा कि पार्टी का भाजपा में विलीनीकरण में उनका भी विरोध नहीं रहा। इससे पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आर.सी. फलदू ने विधायक नलीन कोटडिया, गोरधन झड़फिया, फकीर चौहाण, ठाकोर देसाई, विक्रम चौहाण, नरेश पटेल, दीपक जोशी, बिपिन पटेल, गीताबेन पटेल, दीपक पंडया संजय पटेल समेत जीपीपी के वरिष्ठ नेता एवं पदाधिकारियों का केसरिया पहनाकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जब नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है तब से अलग-अलग पार्टियों के सांसद, विधायक और नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
बीते एक पखवाड़े में कांग्रेस के 5 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं, इनमें से तीन ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा छोड़कर कभी कांग्रेस में शामिल हुए दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला भी कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं। उनके फिर से बीजेपी में लौटने के कयास लगाए जा रहे हैं।
मालूम हो कि मोदी के पीएम पद का उम्मीदवार बनने के बाद से उनके पक्ष में एक के बाद एक नेता के जाने से कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा संकट यह खड़ा हो गया है कि वह पहले पार्टी में हो रही बगावत को थामे या मोदी के खिलाफ चुनावी तैयारी में जुटे।
मोदी की रणनीति गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट जीतने की है। वह इसी लक्ष्य को लेकर अपने कुनबे को बढ़ाने में लगे हैं। सोमवार को गुजरात परिवर्तन पार्टी (जीपीपी) का भाजपा में विलय कर दिया गया। जीपीपी के मौजूदा अध्यक्ष गोरधन झड़फिया और जीपीपी से विधायक रहे नलीन कोटडिया ने अपने वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ केसरिया धारण कर लिया।
भाजपा में विलीनीकरण पर गोरधन झड़फिया का कहना है कि भाजपा मातृ संस्था है। भले ही हमारे बीच मतभेद रहे हों, लेकिन मतभेद देश से बड़े नहीं हैं। गुजरात और देश हित की बात आएगी तो एकजुट रहेंगे। यह आत्मसमर्पण नहीं विलीनीकरण है। उन्होंने दावा किया कि सभी वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों की सहमति के बाद ही यह निर्णय किया गया। जीपीपी के करीब सात लाख प्राथमिक सदस्य हैं।
पूर्व गृह मंत्री हरेन पंडया की पत्नी एवं जीपीपी नेता जागृति बेन के बारे में पूछने पर झड़फिया ने कहा कि पार्टी का भाजपा में विलीनीकरण में उनका भी विरोध नहीं रहा। इससे पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आर.सी. फलदू ने विधायक नलीन कोटडिया, गोरधन झड़फिया, फकीर चौहाण, ठाकोर देसाई, विक्रम चौहाण, नरेश पटेल, दीपक जोशी, बिपिन पटेल, गीताबेन पटेल, दीपक पंडया संजय पटेल समेत जीपीपी के वरिष्ठ नेता एवं पदाधिकारियों का केसरिया पहनाकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जब नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है तब से अलग-अलग पार्टियों के सांसद, विधायक और नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
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