वरिष्ठ नेता रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी ने अगला लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ मिल कर लड़ने का फैसला किया है। पासवान के आवास पर लोजपा नेताओं के साथ एक बैठक के बाद पूर्व सांसद और पार्टी के नेता सूरजभान सिंह ने बताया लोजपा और भाजपा के बीच गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया गया है।
बहरहाल, लोजपा महासचिव अब्दुल खलीक ने बताया कि अंतिम निर्णय नहीं किया गया है और लोजपा का संसदीय बोर्ड ही यह फैसला कर सकता है। उनसे पूछा गया कि गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के विरोध में राजग से सबसे पहले अलग होने वाले लोजपा प्रमुख उस भाजपा के साथ कैसे जा सकते हैं जिसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी हैं। इस पर सूरजभान सिंह ने कहा जब अदालत ने मोदी को क्लीन चिट दे दी है तो हम कुछ कहने वाले कौन होते हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन के बारे में औपचारिक घोषणा शीघ्र ही की जाएगी जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि बिहार में पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सिंह ने यह भी कहा कि पासवान जल्द ही इस मुद्दे पर भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलेंगे। बहरहाल, पार्टी के अन्य नेताओं ने कहा कि ऐसा कोई फैसला अब तक नहीं किया गया है और गठबंधन के मुद्दे पर पार्टी को अभी निर्णय करना है। खलीक ने बताया गठबंधन के मुद्दे पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं किया गया है और केवल लोजपा का संसदीय बोर्ड ही इसका फैसला कर सकता है। बोर्ड की बैठक कुछ ही दिनों में होगी।
इस सवाल का स्पष्ट जवाब खलीक ने नहीं दिया कि क्या लोजपा ने भाजपा के साथ गठबंधन के लिए कोई बातचीत की है। उन्होंने कहा कांग्रेस और राजद के साथ हमारी बातचीत चल रही है। पार्टी के एक अन्य नेता ने नाम जाहिर न करने के अनुरोध पर बताया कि कांग्रेस, राजद और लोजपा के बीच गठबंधन को अंतिम रूप देने में विलंब के बीच, पार्टी कार्यकर्ता अलग रास्ता चुनने और पार्टी के हित में निर्णय करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि बिहार से भाजपा के कुछ नेताओं ने हाल ही में पासवान से मुलाकात की थी। बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं। पूर्व में पासवान ने नीतीश कुमार की तारीफ कर जद(यू) के साथ जाने के संकेत दिए थे।
पासवान की पार्टी राजग सरकार की घटक थी लेकिन गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के बाद सबसे पहले लोजपा प्रमुख इस गठबंधन से अलग हुए थे। तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। लोजपा के राजग छोड़ने के बाद अन्य दलों ने भी गठबंधन से किनारा कर लिया और राजग के विघटन से 2004 में कांग्रेस नीत संप्रग के सत्तारूढ़ होने की राह बनी।
बहरहाल, लोजपा महासचिव अब्दुल खलीक ने बताया कि अंतिम निर्णय नहीं किया गया है और लोजपा का संसदीय बोर्ड ही यह फैसला कर सकता है। उनसे पूछा गया कि गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के विरोध में राजग से सबसे पहले अलग होने वाले लोजपा प्रमुख उस भाजपा के साथ कैसे जा सकते हैं जिसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी हैं। इस पर सूरजभान सिंह ने कहा जब अदालत ने मोदी को क्लीन चिट दे दी है तो हम कुछ कहने वाले कौन होते हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन के बारे में औपचारिक घोषणा शीघ्र ही की जाएगी जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि बिहार में पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सिंह ने यह भी कहा कि पासवान जल्द ही इस मुद्दे पर भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलेंगे। बहरहाल, पार्टी के अन्य नेताओं ने कहा कि ऐसा कोई फैसला अब तक नहीं किया गया है और गठबंधन के मुद्दे पर पार्टी को अभी निर्णय करना है। खलीक ने बताया गठबंधन के मुद्दे पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं किया गया है और केवल लोजपा का संसदीय बोर्ड ही इसका फैसला कर सकता है। बोर्ड की बैठक कुछ ही दिनों में होगी।
इस सवाल का स्पष्ट जवाब खलीक ने नहीं दिया कि क्या लोजपा ने भाजपा के साथ गठबंधन के लिए कोई बातचीत की है। उन्होंने कहा कांग्रेस और राजद के साथ हमारी बातचीत चल रही है। पार्टी के एक अन्य नेता ने नाम जाहिर न करने के अनुरोध पर बताया कि कांग्रेस, राजद और लोजपा के बीच गठबंधन को अंतिम रूप देने में विलंब के बीच, पार्टी कार्यकर्ता अलग रास्ता चुनने और पार्टी के हित में निर्णय करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि बिहार से भाजपा के कुछ नेताओं ने हाल ही में पासवान से मुलाकात की थी। बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं। पूर्व में पासवान ने नीतीश कुमार की तारीफ कर जद(यू) के साथ जाने के संकेत दिए थे।
पासवान की पार्टी राजग सरकार की घटक थी लेकिन गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के बाद सबसे पहले लोजपा प्रमुख इस गठबंधन से अलग हुए थे। तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। लोजपा के राजग छोड़ने के बाद अन्य दलों ने भी गठबंधन से किनारा कर लिया और राजग के विघटन से 2004 में कांग्रेस नीत संप्रग के सत्तारूढ़ होने की राह बनी।
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