नई दिल्ली। आम चुनाव से पहले जाति के बजाए आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की तुरूप चाल सामने लाने का संकेत देते हुए कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी के सुझाव पर पार्टी विचार करेगी।
द्विवेदी ने पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सलाह दी है कि अब जातिगत आधार पर आरक्षण देने की व्यवस्था खत्म होनी चाहिए। क्योंकि सामाजिक न्याय की अवधारणा अब जातिवाद में बदल चुकी है। गांधी को भविष्य के नेता के रूप में देश से सांप्रदायिकता एवं जातिवाद समाप्त करने के लिए साहसी कदम उठाना चाहिए।
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक मंच से द्विवेदी के इस सुझाव पर कहा कि जनार्दन द्विवेदी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और अगर उन्होंने कोई सुझाव दिया है तो पार्टी उस पर विचार करने के बाद कोई निर्णय लेगी।
द्विवेदी ने एक साक्षात्कार में कहा कि जातिगत आरक्षण खत्म हो जाना चाहिए था। अभी तक ऎसा क्यों नहीं हुआ - इसकी वजह यह है कि स्वार्थी इस प्रक्रिया में घुस गए हैं और दलितों एवं जातीय आधार पर पिछले वर्ग के जरूरतमंदों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। जो इन समुदायों में ऊपरी स्तर पर पहुंच चुके हैं, वही इसका फायदा उठाकर ले जा रहे हैं।
कांग्रेस ने उनके इस सुझाव को सिरे से नकारने के बजाए इस पर विचार करने की बात कहकर इस बात का संकेत दिया है कि इस मुद्दे पर पार्टी अपनी राय बदलने पर विचार भी कर सकती है।
द्विवेदी ने पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सलाह दी है कि अब जातिगत आधार पर आरक्षण देने की व्यवस्था खत्म होनी चाहिए। क्योंकि सामाजिक न्याय की अवधारणा अब जातिवाद में बदल चुकी है। गांधी को भविष्य के नेता के रूप में देश से सांप्रदायिकता एवं जातिवाद समाप्त करने के लिए साहसी कदम उठाना चाहिए।
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक मंच से द्विवेदी के इस सुझाव पर कहा कि जनार्दन द्विवेदी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और अगर उन्होंने कोई सुझाव दिया है तो पार्टी उस पर विचार करने के बाद कोई निर्णय लेगी।
द्विवेदी ने एक साक्षात्कार में कहा कि जातिगत आरक्षण खत्म हो जाना चाहिए था। अभी तक ऎसा क्यों नहीं हुआ - इसकी वजह यह है कि स्वार्थी इस प्रक्रिया में घुस गए हैं और दलितों एवं जातीय आधार पर पिछले वर्ग के जरूरतमंदों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। जो इन समुदायों में ऊपरी स्तर पर पहुंच चुके हैं, वही इसका फायदा उठाकर ले जा रहे हैं।
कांग्रेस ने उनके इस सुझाव को सिरे से नकारने के बजाए इस पर विचार करने की बात कहकर इस बात का संकेत दिया है कि इस मुद्दे पर पार्टी अपनी राय बदलने पर विचार भी कर सकती है।
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