रविवार, 9 फ़रवरी 2014

एसएमएस में ओके हुआ "के", हां बना हम्म...

मोबाइल के जरिए भेजे जाने वाले "एसएमएस" और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर की "चैटिंग" की भाषा ने इंग्लिश की टांग ही तोड़ दी है। दरअसल अब युवा स्कूल-कालेज की पढ़ाई और ग्रामर की दुनिया से अलग अपनी सुविधा के मुताबिक स्पेलिंग की अनदेखी कर शब्दो को छोटा करने के लिए उनका स्वरूप बदल रहे हैं।
मौजूदा दौर में इंटरनेट पर चैटरूम और सोशल नेटवर्किग में युवा अंग्रेजी शब्दों की स्पेलिंग्स में व्यापक बदलाव कर एक नई तरह की डिक्शनरी इजाद कर चुके हैं। ज्यादातर युवा रफ्तार से टाइप करने के चक्कर में या तो शब्दों की स्पेलिंग को छोटा कर लिख रहे हैं, या उनकी स्पेलिंग उच्चारण के आधार पर बदल रहे हैं।

आधुनिक समय की तेज जीवनशैली की रफ्तार के अनुसार ढल चुकी इस नई भाषा में "ओके" को केवल "के", गुड मार्निग को "जीएम", गुड नाइट को "जीएन", बीकॉज को "बीसोओजेड" लिखना आम बात हो चला है। वहीं हिंदी का हां अब अंग्रेजी के "हम्म..." में तब्दील हो चुका है।

प्यार का इजहार करने वाले प्रेमी पहले से ही आई लव यू को "आईएलयू" लिखते आए हैं। इतना ही नहीं अब अंग्रेजी के वाक्यों को भी एक शब्द में पिरोया जा चुका है। मसलन "ऎज सून ऎज पॉसिबल अब "एएसएसपी" बन चुका है। टेक केयर को "टीसी" लिखकर काम चलाया जा रहा है।

अहम बात यह है कि इन शब्दों को युवाओं के बीच मान्यता भी मिलती जा रही है। एक सर्वे के मुताबिक 18 से 24 साल के 66 फीसदी युवा मानते हैं कि मौजूदा शब्दकोशों में कई शब्दों की अलग-अलग स्पेलिंग भी दिखाई देती है। 22 प्रतिशत का कहना है कि इस चलन से वे शब्दों की सही स्पेलिंग भूल गए हैं और ई-मेल लिखते वक्त स्पेल-चैक ऑप्शन के इस्तेमाल के बिना उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है।

खासतौर से भाषा के इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर उन बच्चों पर पड़ रहा है, जिनका जन्म कंप्यूटर के युग में हुआ है और आने वाले समय में अगर इंग्लिश का पूरी तरह से एक नया रूप ही सामने आए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।

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