ब्रह्मा सृजन के देवता हैं और विष्णु तथा शिव के अतिरिक्त हिन्दू देवत्रयी में से एक हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार भगवान ब्रह्मा मनु के पिता हैं और समस्त मानव जाति मनु की ही सन्तति है। इसीलिए समस्त पौराणिक आख्यानों में भगवान ब्रह्मा को परमपिता की संज्ञा दी गई है। हिन्दू परम्परा के अनुसार वेदों की रचना भगवान ब्रह्मा ने ही की है तथा इनकी पत्नी देवी सरस्वती हैं।
वैदिक सन्दभरें में भगवान ब्रह्मा को 'प्रजापति' के नाम से उद्धृत किया गया है। यद्यपि सभी हिन्दू संस्कारों में भगवान ब्रह्मा की प्रार्थना का विधान है, किन्तु फिर भी बहुत कम मंदिर ऐसे हैं जो विशेषकर ब्रह्म आराधना के लिए समर्पित हैं। आइये बताते हैं आपको ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में जो प्रमुखत: भगवान ब्रह्मा की पूजा-अर्चना के लिए जाने जाते हैं।
जगत-पिता ब्रह्मा मंदिर (पुष्कर, अजमेर)- संसार में स्थित भगवान ब्रह्मा के सभी मंदिरों में यह सबसे प्रमुख मंदिर है जो राजस्थान प्रदेश में पवित्र पुष्कर झील के किनारे स्थित है। यद्यपि वर्तमान मंदिर का स्थापत्य 14वीं शताब्दी का है पर यह मंदिर 2000 साल पुराना मन जाता है और मुख्यत: संगमरमर व प्रस्तर-खण्डों का बना है। मंदिर का हंसरूपी शिखर विशिष्ट लाल रंग का है।
आदि ब्रह्मा मंदिर (खोखन, कुल्लू)- यह मंदिर हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी में भुंतर कस्बे से 4 किमी उत्तर में स्थित काष्ठ की एक विशाल संरचना है। इस मंदिर के केंद्र में भगवान आदि ब्रह्मा जी की प्रतिमा है जिनके बाएं तरफ़ 'गढ़-जोगनी' तथा दाएं तरफ 'मणिकरण-जोगनी' की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
यह चार मंजिल मंदिर 20 मीटर ऊंचा है तथा इसका शिल्प प्रसिद्ध पैगोडा बौद्ध मंदिरों के समान है।
ब्रह्मा मंदिर (असोतरा, बाड़मेर)- यह मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में बालोतरा शहर से 10 किमी की दुरी पर स्थित है। मंदिर का मुख्य सभागार जैसलमेर के प्रसिद्ध पीले पत्थरों से निर्मित है तथा बाकी पूरा मंदिर जोधपुरी पत्थरों से बना है। भगवान श्री ब्रह्मा जी की प्रतिमा संगमरमर की बनी है जिसकी नक्काशी अद्वितीय है. यहां प्रतिदिन 200 किग्रा अन्न पक्षियों को खिलाया जाता है।
परब्रह्म मंदिर (ओचिरा, कोल्लम)- केरल प्रदेश के कोल्लम तथा अल्लपुझा जिलों की सीमा पर स्थित यह मंदिर एक पवित्र तीर्थस्थल है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां न तो कोई भवन संरचना (दीवार, छत आदि) है और न ही कोई गर्भ-गृह है जिसमे देवप्रतिमा स्थापित हो। भक्त यहां स्थित एक बरगद के पेड़ के मूल-भाग की पूजा करते हैं।
उत्तमार कोइल ब्रह्मा मंदिर (तिरुचिरापल्ली)- तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले के बाहरी भाग में स्थित यह मंदिर हिन्दू देव-त्रयी (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) को समर्पित है. इस मंदिर का स्थापत्य द्रविड़ियन शैली का है और यह मध्ययुगीन चोल शासकों द्वारा 8वीं शताब्दी में निर्मित हुआ है। इस ऐतिहासिक मंदिर में प्रत्येक हिन्दू देव-त्रयी एवं उनसे सम्बद्ध देवियों के पूजा-अर्चन के लिए छ: भिन्न पीठ हैं।
थिरुनागेश्वरम ब्रह्मा मंदिर (कुम्बकोनम, तंजावुर)- तमिलनाडु प्रदेश के तंजावुर जिले से 40 किमी दूर मंदिरों के शहर कुम्बकोनम में स्थित यह मंदिर वैसे तो मुख्यत: भगवान शिव को समर्पित है, किन्तु इसमें भगवान ब्रह्मा का मंदिर भी एक अलग पीठ में स्थापित है। इस मंदिर के गर्भ-गृह में परमपिता ब्रह्मा अपने त्रिमुख रूप में देवी सरस्वती के साथ विराजमान हैं।
ब्रह्मा मंदिर (खेद्ब्रह्मा, साबरकंठा)- गुजरात प्रदेश के साबरकंठा जिले में खेद्ब्रह्मा तालुका में स्थित है यह मंदिर. यह एक पौराणिक क्षेत्र है जो तीन छोटी नदियों (हिरनाक्षी, भीमाक्षी, एवं कोसाम्बी) के संगम पर है और इसके आगे यह हर्नाव नाम से जानी जाती है जो आगे जा कर साबरमती नदी में मिल जाती है. यह मंदिर 11वीं या 12वीं शताब्दी का निर्मित है और इसके निकट एक अति प्राचीन सीढि़यों वाला कुआँ भी है जिसे ब्रह्म वाव या अदिति वाव नाम से जाना जाता है।
ब्रह्मा मंदिर (वालपोई, सत्तारी)- यह मंदिर उत्तरी गोवा के सत्तारी तालुका में वालपोई मुख्यालय से 7 किमी एवं पंजिम से लगभग 60 किमी दूर ब्रह्मा कारम्बोलिम गांव में स्थित है। यह मंदिर 5वीं शताब्दी का निर्मित माना जाता है। यहां स्थापित ब्रह्मा जी की प्रतिमा एक विशाल काली बेसाल्ट पत्थर की चट्टान से बनाई हुई है जो प्राचीन कदम्बा कला का बेहतरीन नमूना है।
ब्रह्मपुरेश्वर मंदिर (तिरुपत्तूर, त्रिची)- यह मंदिर तमिलनाडु प्रान्त के तिरुचिरापल्ली जिले में स्थित है और इसके मुख्य आराध्य देव भगवान शिव है. इस मंदिर में ही परमपिता ब्रह्मा का भी एक भिन्न पीठ स्थापित है। यहां भक्तगण कमल के पुष्प पर विराजमान ब्रह्मा जी की ध्यानमग्न पद्मासन प्रतिमा का दर्शन कर सकते हैं
चतुर्मुख ब्रह्मा मंदिर (चेबरोलु, गुंटूर)- आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में चेबरोलु कस्बे में स्थित है चतुर्मुख ब्रह्मा जी का मंदिर. इस मंदिर में परमपिता ब्रह्मा की चार मुखों वाली प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर आज से लगभग 200 साल पहले राजा वासिरेड्डी वेंकटाद्री नायडू ने बनवाया था।
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