जयपुर। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीन से सम्बन्घित मामले में खोजबीन शुरू हो गई है। राजस्व मंडल सभी जिला कलक्टरों से इस जमीन के खरीद-बेचान का रिकॉर्ड जुटा रहा है।इधर बाड़मेर जिला कलेक्टर ने इस सन्दर्भ में एक लाइन का जवाब भेज दिया राजस्व मंडल को कि रॉबर्ट वाड्रा के नाम से बाड़मेर में कोई जमीं नहीं खरीदी गयी
सूत्रों से पता चला है कि मंडल ने कलक्टरों से उनके यहां वाड्रा की जमीन और उसके स्थान के बारे में जानकारी मांगी है, जमीन की कीमत के बारे में पूछा गया है।
बताया जाता है कि वाड्रा की जमीन के बारे में एक विधायक ने सवाल लगाया है, उसी के लिए यह जानकारी एकत्र की जा रही है। इस जमीन के मामले में राज्य के चार भाजपा सांसद भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पत्र लिखकर जांच की मांग कर चुके हैं।
केन्द्रीय मंत्री पर सरकारी भूमि हड़पने का आरोप
केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह पर मिलीभगत कर अलवर जिले में कब्रिस्तान व गैर मुमकिन रास्ते की बेशकीमती भूमि हड़पने का आरोप सामने आया है। सूचना का अधिकार कार्यकर्ता अशोक पाठक ने शनिवार को यहां मीडिया को इसके दस्तावेज मुहैया कराए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सिंह ने 2009 में सांसद बनने पर अलवर के उपखण्ड़ अधिकारी से सुनवाई का आग्रह किया, इसके लिए पेश प्रार्थना पत्र में जून 2005 में करीब 30 बीघा जमीन का वाद खारिज होने और मूल वादी तेजसिंह की मृत्यु होने का तथ्य छिपाया।
अक्टूबर 2011 में तत्कालीन एसडीओ नारायण सिंह ने आरोपी के पक्ष में फैसला कर दिया, जबकि पुन: सुनवाई का अधिकार ही नहीं था। प्रार्थना पत्र में पत्रावली गायब बताई, वह आरटीआई में शिकायतकर्ता को मिल गई है। जितेन्द्र सिंह के मोबाइल पर सम्पर्क किया गया, तो स्विच ऑफ बताया गया।
सूत्रों से पता चला है कि मंडल ने कलक्टरों से उनके यहां वाड्रा की जमीन और उसके स्थान के बारे में जानकारी मांगी है, जमीन की कीमत के बारे में पूछा गया है।
बताया जाता है कि वाड्रा की जमीन के बारे में एक विधायक ने सवाल लगाया है, उसी के लिए यह जानकारी एकत्र की जा रही है। इस जमीन के मामले में राज्य के चार भाजपा सांसद भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पत्र लिखकर जांच की मांग कर चुके हैं।
केन्द्रीय मंत्री पर सरकारी भूमि हड़पने का आरोप
केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह पर मिलीभगत कर अलवर जिले में कब्रिस्तान व गैर मुमकिन रास्ते की बेशकीमती भूमि हड़पने का आरोप सामने आया है। सूचना का अधिकार कार्यकर्ता अशोक पाठक ने शनिवार को यहां मीडिया को इसके दस्तावेज मुहैया कराए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सिंह ने 2009 में सांसद बनने पर अलवर के उपखण्ड़ अधिकारी से सुनवाई का आग्रह किया, इसके लिए पेश प्रार्थना पत्र में जून 2005 में करीब 30 बीघा जमीन का वाद खारिज होने और मूल वादी तेजसिंह की मृत्यु होने का तथ्य छिपाया।
अक्टूबर 2011 में तत्कालीन एसडीओ नारायण सिंह ने आरोपी के पक्ष में फैसला कर दिया, जबकि पुन: सुनवाई का अधिकार ही नहीं था। प्रार्थना पत्र में पत्रावली गायब बताई, वह आरटीआई में शिकायतकर्ता को मिल गई है। जितेन्द्र सिंह के मोबाइल पर सम्पर्क किया गया, तो स्विच ऑफ बताया गया।
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