खंडप. पत्थर डालकर बंद किया गया कस्बे का एक प्रवेश मार्ग।
खंडप कस्बे में आज भी निभाई जा रही है पीढिय़ों की परंपरा, रात्रि को मंदिरों में चलते हैं भजन-कीर्तन,
ऐसा कस्बा, जहां साल में तीन दिन प्रवेश मार्ग रहते हैं बंद
बाड़मेर खंडप
सिवाना उपखंड के खंडप कस्बे में प्रति वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष में तीन दिनों तक कस्बे में प्रवेश का हर मार्ग बंद रहता है। भले ही दूर-दराज से आया कोई नाते-रिश्तेदार हो या फिर कस्बे का निवासी। कोई भी अपने वाहन तीन दिन तक कस्बे में प्रवेश नहीं करवा सकता। दशकों पुरानी इस परंपरा का निबर्हन यहां हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष में रविवार से मंगलवार तक होता है। इन तीन दिनों में कस्बे के मुख्य मार्गों के सभी प्रवेश द्वार बंद कर दिए जाते हैं। इन दिनों में रात्रि को कस्बे के हनुमान मंदिर, नागाजी बगीची व रामदेव मंदिर पर भजन संध्या आयोजित होती है, जिसमें सभी कस्बेवासी भाग लेते हैं और अपनी आस्था प्रकट करते हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा कस्बे में करीब 90 वर्षों से अनवरत जारी है। करीब 90 साल पहले नागाजी महाराज के नाम से विख्यात जसरथगिरी महाराज के बताए मार्ग पर खंडप कस्बे के वाशिंदे आज भी चल रहे हैं। इस साल भी परंपरा का निबर्हन कस्बेवासियों की ओर से बड़े धूमधाम से किया गया। बीते मंगलवार तक कस्बे के सभी प्रवेश द्वार बंद रहे और बुधवार को खोल दिए गए। कस्बेवासी महेंद्रसिंह बालावत बताते है कि इन तीन दिनों में कस्बे का हर नागरिक इस परंपरा से भली भांति वाफिक होते हुए इसमें निभाता और बाहर से वाहन लेकर आने वाले लोगों से वाहन का प्रवेश कस्बे के बाहर करने को लेकर आग्रह करता है। बाहरी लोग भी कस्बेवासियों की अटूट आस्था में सहयोग देते हैं। परंपरानुसार मंगलवार रात्रि में पांच युवक हनुमानजी के मंदिर में स्नान कर वस्त्र विहीन) अवस्था में हनुमानजी का नाम लेते हुए ज्योत, गदा, तलवार तथा कलश में दूध, घी व पानी मिलाकर दौड़ते हुए पूरे गांव के चारों तरफ धार लगाते हुए परिक्रमा देते हैं। यह परिक्रमा महज 10 से 15 मिनट में पूरी हो जाती है। वहीं चार-पांच ग्रामीण कस्बे के मुख्य मार्गों पर खड़े रहते हैं कि कोई बाहरी व्यक्ति इन्हें देखकर घबरा या डर नहीं जाए।
ऐसा कस्बा, जहां साल में तीन दिन प्रवेश मार्ग रहते हैं बंद
बाड़मेर खंडप
सिवाना उपखंड के खंडप कस्बे में प्रति वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष में तीन दिनों तक कस्बे में प्रवेश का हर मार्ग बंद रहता है। भले ही दूर-दराज से आया कोई नाते-रिश्तेदार हो या फिर कस्बे का निवासी। कोई भी अपने वाहन तीन दिन तक कस्बे में प्रवेश नहीं करवा सकता। दशकों पुरानी इस परंपरा का निबर्हन यहां हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष में रविवार से मंगलवार तक होता है। इन तीन दिनों में कस्बे के मुख्य मार्गों के सभी प्रवेश द्वार बंद कर दिए जाते हैं। इन दिनों में रात्रि को कस्बे के हनुमान मंदिर, नागाजी बगीची व रामदेव मंदिर पर भजन संध्या आयोजित होती है, जिसमें सभी कस्बेवासी भाग लेते हैं और अपनी आस्था प्रकट करते हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा कस्बे में करीब 90 वर्षों से अनवरत जारी है। करीब 90 साल पहले नागाजी महाराज के नाम से विख्यात जसरथगिरी महाराज के बताए मार्ग पर खंडप कस्बे के वाशिंदे आज भी चल रहे हैं। इस साल भी परंपरा का निबर्हन कस्बेवासियों की ओर से बड़े धूमधाम से किया गया। बीते मंगलवार तक कस्बे के सभी प्रवेश द्वार बंद रहे और बुधवार को खोल दिए गए। कस्बेवासी महेंद्रसिंह बालावत बताते है कि इन तीन दिनों में कस्बे का हर नागरिक इस परंपरा से भली भांति वाफिक होते हुए इसमें निभाता और बाहर से वाहन लेकर आने वाले लोगों से वाहन का प्रवेश कस्बे के बाहर करने को लेकर आग्रह करता है। बाहरी लोग भी कस्बेवासियों की अटूट आस्था में सहयोग देते हैं। परंपरानुसार मंगलवार रात्रि में पांच युवक हनुमानजी के मंदिर में स्नान कर वस्त्र विहीन) अवस्था में हनुमानजी का नाम लेते हुए ज्योत, गदा, तलवार तथा कलश में दूध, घी व पानी मिलाकर दौड़ते हुए पूरे गांव के चारों तरफ धार लगाते हुए परिक्रमा देते हैं। यह परिक्रमा महज 10 से 15 मिनट में पूरी हो जाती है। वहीं चार-पांच ग्रामीण कस्बे के मुख्य मार्गों पर खड़े रहते हैं कि कोई बाहरी व्यक्ति इन्हें देखकर घबरा या डर नहीं जाए।
ऐसी है मान्यता इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि आज से करीब 90 वर्ष पूर्व खंडप गांव में अज्ञात बीमारी फैल गई थी, जिससे कई ग्रामीण काल कलवित हो गए। उस वक्त चिकित्सा की इतनी व्यवस्था भी नहीं थी। तब ग्रामीणों ने वहां तपस्या करने वाले जसरथगिरी महाराज से इस बीमारी से छुटकारा दिलाने की गुहार लगाई। जसरथगिरी महाराज ने वर्ष में एक बार माघ मास के शुक्ल पक्ष में तीन दिवसीय जागरण तथा गांव के मुख्य मार्ग बंद कर गांव के चारों तरफ परिक्रमा लगाते हुए धार देने की सलाह दी। तक ग्रामीणों ने महाराज की बताई बात उपाय के रूप में मानी और बीमारी से छुटकारा पाते हुए राहत ली। इसके बाद आज तक प्रतिवर्ष यह आस्था भरी परंपरा निरंतर चल रही है। इस दौरान खंडप गांव स्थित नागाजी भटाराज मंदिर में जसरथगिरी महाराज की समाधि स्थल पर ग्रामीण ढोक लगाकर मंगल कामनाएं करते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें